24 जुलाई 2025 की सुबह दक्षिण-पूर्व एशिया के आकाश में बारूद की गंध फैल गई। थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर शुरू हुई हिंसक झड़पों ने युद्ध का रूप ले लिया। 24 घंटों में कम से कम 16 लोग मारे गए, दर्जनों घायल हुए, और लाखों लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा। थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमानों से कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हमले किए, जबकि कंबोडिया ने इसे संप्रभुता पर हमला बताकर जवाबी कार्रवाई की। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को निष्कासित कर दिया, और तनाव चरम पर पहुंच गया। इस युद्ध का केंद्र है प्रीह विहार मंदिर और ता मुएन थॉम मंदिर परिसर, जो दंगरेक पर्वत श्रृंखला में स्थित हैं। आश्चर्यजनक रूप से, यह युद्ध दो बौद्ध बहुल देशों के बीच हो रहा है, न कि हिंदू समुदायों की लड़ाई, जैसा कि मंदिरों के नाम से लग सकता है।
शिव मंदिरों के लिए जंग में क्यों कूदे बौद्ध बहुल थाईलैंड और कंबोडिया?
- विश्लेषण
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- 25 Jul, 2025

थाईलैंड कंबोडिया मंदिर विवाद
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच प्राचीन शिव मंदिरों के मालिकाने को लेकर विवाद तेज हो गया है। दोनों बौद्ध बहुल देश आखिर क्यों एक हिंदू धरोहर को लेकर आमने-सामने हैं? जानें पूरी कहानी।
प्रीह विहार और ता मुएन थॉम
प्रीह विहार मंदिर और ता मुएन थॉम मंदिर परिसर, दोनों भगवान शिव को समर्पित, 9वीं से 12वीं सदी में खमेर साम्राज्य के दौरान बनाए गये। कंबोडिया केंद्रित खमेर साम्राज्य अपने सांस्कृतिक वैभव के लिए प्रसिद्ध था, और इसका प्रभाव थाईलैंड, लाओस, वियतनाम और म्यांमार तक फैला था। प्रीह विहार मंदिर 525 मीटर ऊंची चट्टान पर स्थित है और इसे खमेर राजाओं सूर्यवर्मन प्रथम और सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया। वहीं, ता मुएन थॉम परिसर में तीन मंदिर—प्रसात ता मुएन थॉम, प्रसात ता मुएन, और प्रसात ता मुएन तोट—शामिल हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला में भारतीय गुप्तकालीन कला का प्रभाव स्पष्ट है, जिसमें जटिल नक्काशी और हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण शामिल हैं।