प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक रैलियों में ख़ुद को पिछड़ा वर्ग का नेता बताते हैं लेकिन उनके राज में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में 80% ख़ाली पड़े हैं। यह तब है जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी लगातार ओबीसी की भागीदारी को राजनीतिक विमर्श का केंद्रीय प्रश्न बनाने की कोशिश कर रहे हैं और जाति जनगणना की माँग के पीछे भी ओबीसी की वास्तविक स्थिति का पता लगाना ही सबसे बड़ा मक़सद है। मोदी सरकार ने राज्यसभा में ओबीसी के साथ अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आरक्षित शिक्षक पदों के ख़ाली होने का जो आँकड़ा पेश किया है, वह बताता है कि पीएम मोदी के भाषणों और ज़मीनी हक़ीक़त में ख़ासा फ़र्क़ है।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC प्रोफ़ेसर के 80% पद ख़ाली क्यों?
- विश्लेषण
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- 25 Jul, 2025
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी वर्ग के प्रोफेसरों के 80% पद खाली हैं। यह चौंकाने वाला आँकड़ा उच्च शिक्षा संस्थानों में आरक्षण की प्रभावशीलता और सामाजिक न्याय की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

चौंकाने वाले आँकड़े
24 जुलाई 2025 को राज्यसभा में RJD सांसद प्रो. मनोज झा द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्तियों का ब्योरा दिया। 30 जून 2025 तक की स्थिति के अनुसार:
प्रोफेसर पद:
- OBC: 423 स्वीकृत पदों में से केवल 84 भरे गए, यानी 80% पद खाली।
- ST: 144 स्वीकृत पदों में से केवल 24 भरे गए, यानी 83% पद खाली।
- SC: 308 स्वीकृत पदों में से 111 भरे गए, यानी 64% पद खाली।
एसोसिएट प्रोफेसर पद:
- SC: 632 स्वीकृत पदों में से 308 भरे गए, यानी 51% पद खाली।
- ST: 307 स्वीकृत पदों में से 108 भरे गए, यानी 65% पद खाली।
- OBC: 883 स्वीकृत पदों में से 275 भरे गए, यानी 69% पद खाली।
असिस्टेंट प्रोफेसर पद:
- SC: 1,370 स्वीकृत पदों में से 1,180 भरे गए, यानी 14% पद खाली।
- ST: 704 स्वीकृत पदों में से 595 भरे गए, यानी 15% पद खाली।
- OBC: 2,382 स्वीकृत पदों में से 1,838 भरे गए, यानी 23% पद खाली।