प्रधानमंत्री मोदी सार्वजनिक रैलियों में ख़ुद को पिछड़ा वर्ग का नेता बताते हैं लेकिन उनके राज में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में 80% ख़ाली पड़े हैं। यह तब है जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी लगातार ओबीसी की भागीदारी को राजनीतिक विमर्श का केंद्रीय प्रश्न बनाने की कोशिश कर रहे हैं और जाति जनगणना की माँग के पीछे भी ओबीसी की वास्तविक स्थिति का पता लगाना ही सबसे बड़ा मक़सद है। मोदी सरकार ने राज्यसभा में ओबीसी के साथ अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए आरक्षित शिक्षक पदों के ख़ाली होने का जो आँकड़ा पेश किया है, वह बताता है कि पीएम मोदी के भाषणों और ज़मीनी हक़ीक़त में ख़ासा फ़र्क़ है।