'एक देश, एक चुनाव' (One Nation, One Election) विधेयक पर चर्चा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के सामने चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों (CJIs) ने अपनी राय रखी। उन्होंने इस विधेयक के विचार को संवैधानिक रूप से वैध माना, लेकिन चुनाव आयोग (ECI) को दिए जाने वाले व्यापक अधिकारों पर गंभीर चिंता जताई। पूर्व CJI जे.एस. केहर और डी.वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को समिति के सामने अपनी राय दी। जिसमें उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को किसी राज्य में एक साथ चुनाव टालने का अधिकार देना संवैधानिक रूप से स्वीकार्य नहीं हो सकता।

चुनाव आयोग के अधिकारों पर सवाल 

129वें संविधान संशोधन विधेयक में प्रस्तावित है कि चुनाव आयोग यह तय करेगा कि एकसाथ चुनाव संभव हैं या नहीं। विधेयक के अनुसार, अगर आयोग को लगता है कि किसी राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ नहीं हो सकते, तो वह राष्ट्रपति को सिफारिश कर सकता है कि उस राज्य के चुनाव बाद में कराए जाएं। पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इस तरह के "असीमित अधिकार" संवैधानिक खामियों को जन्म दे सकते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि इन अधिकारों को केवल "सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा" जैसे आधारों तक सीमित किया जाना चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो।

संसदीय निगरानी की जरूरत 

कम से कम दो पूर्व CJI ने विधेयक में संशोधन की सलाह दी है, जिसमें चुनाव आयोग के इस अधिकार पर संसदीय निगरानी शामिल हो। जस्टिस केहर ने कहा कि संसद या केंद्रीय मंत्रिपरिषद को यह तय करने में भूमिका निभानी चाहिए कि किसी राज्य के चुनाव कब होंगे। उन्होंने यह भी चिंता जताई कि अगर किसी राज्य में आपातकाल घोषित होता है, तो यह एक साथ चुनाव की व्यवस्था को बिगाड़ सकता है।
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संवैधानिकता पर सहमति, लेकिन सावधानी जरूरी 

चारों पूर्व CJI - जे.एस. केहर, डी.वाई. चंद्रचूड़, रंजन गोगोई और यू.यू. ललित - ने इस बात पर सहमति जताई कि एक साथ चुनाव संवैधानिक रूप से वैध हैं और यह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान में कहीं भी यह अनिवार्य नहीं है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होने चाहिए। हालांकि, उन्होंने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सावधानी बरतने की सलाह दी।

क्षेत्रीय दलों और वित्तीय असंतुलन पर चिंता 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह भी उल्लेख किया कि एक साथ चुनाव बड़े और पैसे वाले राष्ट्रीय दलों को फायदा पहुंचा सकते हैं, जिससे छोटे और क्षेत्रीय दल हाशिए पर चले जाएंगे। उन्होंने चुनावी खर्च, खासकर राजनीतिक दलों के खर्च को नियंत्रित करने के लिए मजबूत नियम बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

JPC की भूमिका 

बीजेपी सांसद पी.पी. चौधरी की अध्यक्षता वाली JPC में कई प्रमुख नेता शामिल हैं, जैसे मनीष तिवारी, प्रियंका गांधी वाड्रा और संबित पात्रा। समिति विशेषज्ञों और जनता के सुझावों को ध्यान में रखकर अपनी अंतिम रिपोर्ट तैयार करेगी। एक वरिष्ठ JPC सदस्य ने कहा कि समिति इन सुझावों पर विचार करेगी ताकि विधेयक को और बेहतर बनाया जा सके।
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पूर्व CJI ने 'एक देश, एक चुनाव' के विचार का समर्थन किया, लेकिन चुनाव आयोग के असीमित अधिकारों को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने संवैधानिक और कानूनी खामियों को दूर करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और संसदीय निगरानी की जरूरत पर जोर दिया। यह विधेयक भारत की चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव का प्रस्ताव करता है, लेकिन इसे लागू करने में सावधानी और संतुलन जरूरी है।