क्या संसद के आगामी मानसून सत्र में भारत-पाक युद्ध पर ट्रंप के दावों का मुद्दा छाया रहेगा? विपक्ष ने क्या रणनीति बनाई है, और सरकार की क्या तैयारी है, पढ़िए पूरी जानकारी।
क्या संसद का मानसून सत्र इस बार भारत-पाक युद्ध पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों के मुद्दे की भेंट चढ़ने वाला है? कम से कम मानसून सत्र शुरू होने से ऐन पहले ट्रंप ने यह कहकर इस संभावना को और बढ़ा दिया है कि 'भारत-पाक संघर्ष के दौरान 5 जेट मार गिराए गए थे।'
कांग्रेस ने भी उस बयान से इसके साफ़ संकेत दे दिए हैं जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि संसद के मानसून सत्र से ठीक दो दिन पहले ‘ट्रंप मिसाइल' 24वीं बार दागी गई है और इसमें वही दो संदेश हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने फिर से कहा है कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोका। रमेश के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी दोहराया कि उनकी ओर से कहा गया था कि अगर ‘युद्ध जारी रहता है तो कोई व्यापार समझौता नहीं होगा।'
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चलेगा। इसमें कई अहम मुद्दों पर तीखी बहस होने की संभावना है। इनमें सबसे प्रमुख है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन दावों का मुद्दा। इसमें ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सैन्य तनाव को रोकने और ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त करने में अपनी मध्यस्थता की भूमिका का दावा किया है। इसके साथ ही हाल में कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बयानों ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। विपक्ष, खासकर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य दल, इस मुद्दे को संसद में जोर-शोर से उठाने की तैयारी में हैं।
ट्रंप के दावों का आधार क्या?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार दावा किया है कि उनकी मध्यस्थता और व्यापार समझौतों की धमकी के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुआ सैन्य संघर्ष रुका। ट्रंप ने व्हाइट हाउस में रिपब्लिकन सांसदों के साथ डिनर के दौरान यह भी दावा किया कि इस संघर्ष में पाँच लड़ाकू जेट गिराए गए, हालाँकि उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि ये जेट किस देश के थे।
भारत ने इन दावों को बार-बार खारिज किया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संसदीय स्थायी समिति को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम का निर्णय पूरी तरह द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई मध्यस्थता नहीं थी।
मिसरी ने यह भी कहा कि ट्रंप के बयान उनकी व्यक्तिगत राय हैं और भारत ने उनसे इस मामले में कोई संपर्क नहीं किया। रिपोर्ट आई थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्रंप के साथ 18 जून 2025 को हुई 35 मिनट की फोन कॉल में साफ़ किया कि भारत मध्यस्थता को न तो स्वीकार करता है और न ही भविष्य में करेगा। भारत का कहना है कि संघर्षविराम दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बातचीत के बाद हुआ, जो पाकिस्तान के अनुरोध पर शुरू हुई थी।
ऑपरेशन सिंदूर और सैन्य अधिकारियों के दावे
ऑपरेशन सिंदूर 7 मई को शुरू किया गया था, जो 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। भारत ने इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में आतंकी ठिकानों और सैन्य सुविधाओं पर सटीक हमले किए। सरकार ने इसे एक बड़ी सफलता क़रार दिया, जिसमें तीन प्रमुख आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया और पाकिस्तानी सेना का मनोबल तोड़ा गया।
हालांकि, हाल में कुछ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बयानों ने इस ऑपरेशन को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। रक्षा प्रमुख यानी सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में शांगरी-ला डायलॉग के दौरान स्वीकार किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय लड़ाकू जेट गिराए गए थे। इसके अलावा, उप सेना प्रमुख (क्षमता विकास और रखरखाव) लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने ऑपरेशन के अचानक रुकने के लिए 'असाधारण तरीकों' का जिक्र किया, जिसे विपक्ष ने अमेरिकी दबाव से जोड़ा। इन बयानों ने विपक्ष को सरकार पर हमला करने का एक नया आधार दिया है।
विपक्ष की रणनीति
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और AIMIM जैसे विपक्षी दल इस मुद्दे को मानसून सत्र में प्रमुखता से उठाने की योजना बना रहे हैं। उनकी रणनीति है:
प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ट्रंप ने 66 दिनों में 24 बार दावा किया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोका और ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त करवाया। कांग्रेस ने लगातार मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में इस पर साफ़ बयान दें। जयराम रमेश ने लिखा है कि देश सच जानना चाहता है, कोई और नेता नहीं चलेगा, केवल प्रधानमंत्री को जवाब देना होगा।
ऑपरेशन सिंदूर पर पारदर्शिता : विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुक़सान ख़ासकर लड़ाकू जेटों के नुक़सान पर सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि 'हमारे सैनिकों को अमेरिकी दबाव के कारण रोका गया। यह भारत की संप्रभुता पर सवाल उठाता है।'
लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह और जनरल अनिल चौहान के बयानों ने विपक्ष को एक नया हथियार दिया है। विपक्ष इन बयानों का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश करेगा कि ऑपरेशन सिंदूर को विदेशी दबाव में रोका गया।
विशेष चर्चा की मांग
विपक्ष ने पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र की मांग की थी, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। अब इंडिया गठबंधन मानसून सत्र में कम से कम दो दिन की विशेष चर्चा की मांग कर रहा है। जयराम रमेश ने कहा है कि 'पहलगाम हमले के हमलावर अभी तक न्याय की जद में नहीं आए। ऑपरेशन सिंदूर पर सैन्य अधिकारियों के खुलासे और ट्रंप के दावों पर सरकार को जवाब देना होगा।'
विदेश नीति पर हमला
विपक्ष ने ट्रंप के दावों को भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल किया है। टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने इसे 'पार्लियामेंटोफोबिया' करार दिया और कहा कि सरकार विशेष सत्र से बच रही है।
इंडिया गठबंधन की एकजुटता: कांग्रेस ने शनिवार को इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई। शनिवार को इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक में संयुक्त रणनीति तय की गई। हालाँकि, आम आदमी पार्टी आप ने खुद को इस गठबंधन से अलग कर लिया है।
सरकार का रुख
सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकी ठिकानों को नष्ट करने में सफल रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'भारत ने तीन बड़े आतंकी कैंपों को नष्ट किया, जिससे पाकिस्तानी सेना का मनोबल टूटा।' विदेश मंत्रालय ने साफ़ किया कि ऑपरेशन से पहले पाकिस्तान को कोई जानकारी नहीं दी गई थी, और संघर्षविराम डीजीएमओ स्तर की बातचीत का परिणाम था। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, 'हर सत्र विशेष होता है। ऑपरेशन सिंदूर सहित सभी मुद्दों पर मानसून सत्र में चर्चा हो सकती है।' सरकार ने यह भी दावा किया कि वह किसी भी बहस से पीछे नहीं हटेगी।
अन्य मुद्दों के साथ संतुलन
विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर और ट्रंप के दावों के अलावा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर, पहलगाम के हमलावरों पर कार्रवाई, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दों को भी उठाएगा।
संसद का मानसून सत्र ट्रंप के दावों, ऑपरेशन सिंदूर, और सैन्य अधिकारियों के बयानों को लेकर तीखी बहस का केंद्र बनने जा रहा है। विपक्ष इन मुद्दों को सरकार को घेरने और उसकी विदेश नीति व राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर सवाल उठाने के लिए एक बड़े अवसर के रूप में देख रहा है। दूसरी ओर, सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए संसद में बहस के लिए तैयार होने का दावा किया है।