आर्थिक सर्वेक्षण में भले ही भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होने की बात कही गई है, लेकिन चालू खाता घाटे और रुपये के कमजोर होने की चिंताएँ अभी भी कम नहीं हुई हैं।