कर्नाटक सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में बैलट पेपर प्रणाली को फिर से लागू करने का प्रस्ताव किया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी की वोट चोरी के खिलाफ बिहार में 16 दिनों की 'वोटर अधिकार यात्रा' खत्म होने के फौरन बाद यह प्रस्ताव आया है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। बीजेपी कांग्रेस के प्रस्ताव का खुलकर विरोध कर रही है। अभी तक निकाय चुनाव ईवीएम से हो रहे हैं। कांग्रेस की इस पहल से बीजेपी दबाव में आ गई है, उसने विरोध शुरू कर दिया है। बीजेपी इसे एक खतरे के रूप में देख रही है। क्योंकि कर्नाटक के बाद तमाम विपक्ष शासित राज्य (तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल) निकाय चुनाव बैलेट पेपर से करा सकते हैं। बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है।
कर्नाटक मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को इस संबंध में निर्णय लिया गया। सिद्धरमैया सरकार ने राज्य चुनाव आयोग से सिफारिश की है कि मतदाता सूची को संशोधित किया जाए और कर्नाटक में आगामी सभी स्थानीय निकाय चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलट पेपर के से कराए जाएं। इसमें ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण के तहत नगर पांच निगम भी शामिल हैं। 
पत्रकारों से बात करते हुए, कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि लोगों की ईवीएम के प्रति विश्वास और विश्वसनीयता कम हुई है। उन्होंने कहा, "मंत्रिमंडल ने मौजूदा कानूनों में संशोधन करके आवश्यक कानून बनाने का निर्णय लिया है। संशोधित कानून 15 दिनों में मंत्रिमंडल के सामने पेश किए जाएंगे और फिर राज्यपाल के पास लिए भेजा जाएगा।"
एक सवाल के जवाब में, पाटिल ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह लोगों की राय से उपजा है। उन्होंने कहा, "ईवीएम की विश्वसनीयता में कमी और मतदाता सूची में गड़बड़ियों की शिकायतें, विशेष रूप से गैर-मौजूद मतदाताओं को शामिल करने की शिकायतें, इस निर्णय का आधार हैं।"

कर्नाटक के चुनाव आयुक्त का बयान 

राज्य चुनाव आयुक्त जी.एस. संग्रेशी ने कहा कि अगर कानूनों में संशोधन करके बैलट पेपर के जरिए चुनाव कराने का प्रावधान किया जाता है, तो आयोग के लिए इसे लागू करना बाध्यकारी होगा। उन्होंने कहा, "राज्य चुनाव आयोग एक संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय है। यदि मौजूदा कानूनों और नियमों में संशोधन होता है, तो हमें नए नियमों के अनुसार काम करना होगा। अगर हमें अपनी संशोधित मतदाता सूची बनाने की अनुमति दी जाती है, तो हम इसके लिए भी तैयार हैं।"
चुनाव आयुक्त ने बताया कि ग्रामीण पहले से ही मतपत्रों से परिचित हैं क्योंकि ग्राम पंचायत चुनाव अभी भी इसी तरह होते हैं। उन्होंने कहा, "ईवीएम की जगह अब मतपत्रों का इस्तेमाल होगा। ग्राम पंचायतों को छोड़कर सभी स्तरों पर ईवीएम से मतदान पिछले 20-25 सालों से होता आ रहा है। ग्राम पंचायत चुनावों में अभी भी मतपत्रों का इस्तेमाल होता है। इसलिए, मुझे लगता है कि मतपत्रों के इस्तेमाल से कोई बाधा या चिंता नहीं होगी।"
उन्होंने कहा, "राज्य में कांग्रेस सरकार ईवीएम प्रणाली के जरिए सत्ता में आई है। अगर वे बैलट पेपर पर वापस जाना चाहते हैं, तो सरकार को विधानसभा भंग करके नए सिरे से चुनाव कराने चाहिए।"

बीजेपी विरोध बैलेट पेपर के खिलाफ क्योंः डीके

बैलेट पेपर से चुनाव कराने की सिफारिश पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा, "जब भाजपा सरकार ने संशोधन पारित किया था, तब उन्होंने लिखा था कि या तो ईवीएम या फिर बैलेट, इसलिए हमने बैलेट का विकल्प चुना है। बीजेपी अब पीछे क्यों हट रही है। वो बैलेट पेपर का विरोध क्यों कर रही है।
डीके शिवकुमार ने बताया कि भाजपा के सत्ता में रहते हुए भी यही प्रावधान था। उन्होंने कहा, "उनके कार्यकाल में भी यही कानून था। कानून कहता है कि चुनाव बैलेट पेपर या ईवीएम से कराए जा सकते हैं। हमारी सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने का फैसला किया है।" उन्होंने कहा, "हमने लोकसभा चुनाव से जुड़ी हर चीज़ की जाँच कर ली है। मैं अभी उस विषय पर चर्चा नहीं करूँगा... केंद्रीय चुनाव आयोग, चाहे वह राज्य, संसदीय या विधानसभा चुनाव हों, उन्हें जो भी निर्णय लेना है, लेने दीजिए। राज्य सरकार का निर्णय केवल स्थानीय निकाय चुनावों के लिए है।"
इस कदम को कांग्रेस सरकार की ओर से केंद्र सरकार को संदेश देने और भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से उनके 'वोट चोरी' के आरोपों के समर्थन में हलफनामा मांगा था। 8 अगस्त को राहुल गांधी ने कर्नाटक चुनाव आयोग के खिलाफ भी विरोध जताया था, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा क्षेत्र के महादेवपुरा विधानसभा में 'वोट चोरी' का आरोप लगाया था। बैलेट पेपर से चुनाव के प्रस्ताव ने बीजेपी को दबाव में ला दिया है।

बीजेपी विरोध में उतरीः हालांकि, विपक्षी बीजेपी इससे खुश नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस पुराने तरीके से बूथों पर हेराफेरी करके चुनाव जीतना चाहती है। उन्होंने कहा, "90 के दशक में, जब भाजपा ने दावणगेरे संसदीय क्षेत्र जीता था, तो बैलट पेपर की पुनर्गणना के दौरान कांग्रेस जीत गई थी। नतीजे घोषित होने के बाद, भाजपा के पक्ष में डाले गए बैलट पेपर गणना केंद्र के शौचालयों में फेंके हुए पाए गए थे। इसकी तस्वीरें अखबारों में भी छपी थीं।" विजयेंद्र ने कहा कि चुनाव ईवीएम से ही होना चाहिए।