तमिलनाडु और पंजाब के बाद अब केरल के राज्यपाल की बारी है। केरल विधानमंडल से पारित विधेयकों पर दो साल तक राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बैठे रहने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह अब यह दिशा-निर्देश तय करने पर विचार कर रहा है कि राज्यपाल सहमति के लिए विधेयकों को भारत के राष्ट्रपति के पास कब भेज सकते हैं।
केरल के राज्यपाल विधेयकों पर 2 साल तक क्या कर रहे थे: सुप्रीम कोर्ट
- केरल
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- 30 Nov, 2023
विपक्ष शासित राज्यों में आख़िर राज्यपालों द्वारा विधेयकों को वर्षों तक रोके जाने के मामले क्यों सामने आ रहे हैं? जानिए, सुप्रीम कोर्ट एक के बाद एक राज्यपालों को फटकार क्यों लगा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसे ही सवाल तमिलनाडु के राज्यपाल से भी पूछे थे। तमिलनाडु सरकार ने यह आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि राज्यपाल ने खुद को राज्य सरकार के लिए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया है। कोर्ट से नोटिस के बाद तमिलनाडु राज्यपाल के सक्रिय होने पर सवाल उठाते हुए पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश 10 नवंबर का था और राज्यपाल ने 13 नवंबर को विधेयकों का निपटारा कर दिया। इसने कहा कि इसका मतलब है कि कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई हुई, विधेयक 2020 से लंबित थे, राज्यपाल तीन साल से क्या कर रहे थे?