मुंबई के ठाणे जिले में मुंब्रा रेलवे स्टेशन के पास सोमवार सुबह हुए एक दर्दनाक रेल हादसे ने शहर को हिलाकर रख दिया। इस हादसे में अत्यधिक भीड़भाड़ वाली कसारा लोकल ट्रेन से गिरकर पांच यात्रियों की मौत हो गई, जबकि नौ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने सरकार और रेलवे पर निशाना साधा व रेलवे को असुरक्षा और अव्यवस्था का प्रतीक बताया है। विपक्षी नेताओं ने रेलमंत्री के इस्तीफ़े की मांग की है। आलोचनाओं के बीच ही भारतीय रेलवे ने घोषणा की कि मुंबई उपनगरीय क्षेत्र की सभी लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक दरवाज़ा बंद करने की व्यवस्था लागू की जाएगी। इसी तरह की व्यवस्था मेट्रो ट्रेनों में होती है।
इस नये फ़ैसले की घोषणा की जानकारी रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने दी है। रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सूचना) दिलीप कुमार ने कहा, 'सभी निर्माणाधीन रैकों में स्वचालित दरवाजे लगाए जाएंगे और मौजूदा रैकों को भी इस सुविधा से लैस किया जाएगा।' यह क़दम यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने और भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में होने वाले हादसों को रोकने की दिशा में अहम माना जा रहा है। लेकिन सवाल उठ रहा है कि आख़िर इसकी घोषणा बड़े हादसे के बाद क्यों की गई, क्या इसे पहले नहीं लगाया जा सकता था? क्या इसकी घोषणा अब इसलिए कि गई है क्योंकि विपक्षी दलों ने इसको लेकर मुद्दा बना दिया और सरकार पर आम लोगों की सुरक्षा को अनदेखा करने का आरोप लगाया।
विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय पर यात्रियों की सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, "जब मोदी सरकार 11 साल की 'सेवा' का जश्न मना रही है, तब देश की हक़ीक़त मुंबई से आ रही दर्दनाक ख़बर में दिखती है - ट्रेन से गिरकर कई लोगों की मौत। भारतीय रेल करोड़ों की ज़िंदगी की रीढ़ है, लेकिन आज असुरक्षा, भीड़ और अव्यवस्था की प्रतीक बन चुकी है।"
उन्होंने आगे कहा, "मोदी सरकार के 11 साल = न जवाबदेही, न बदलाव, सिर्फ़ प्रचार। सरकार 2025 पर बात करना छोड़, अब 2047 के सपने बेच रही है। देश आज क्या झेल रहा है, ये कौन देखेगा? मैं मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने रेल मंत्री को निशाने पर लिया। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा, 'रेल मंत्री अब रील मंत्री बन गए हैं। पिछले 2-3 सालों में कई भयानक रेल हादसे हुए हैं, लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं। यह पूरी तरह रेलवे विभाग और रेल मंत्री की जिम्मेदारी है।' उन्होंने लोकल ट्रेनों के बुनियादी ढांचे में सुधार और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की मांग की।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा है, 'इस दुखद घटना के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को इस्तीफा देना चाहिए। रेलवे की लापरवाही ने यात्रियों की जान ली है।'
एनसीपी (एसपी) नेता अनिल देशमुख ने हादसे को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा, 'मुंबई में ऐसी घटनाएँ हर साल होती हैं। लोकल ट्रेनों की संख्या और क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे में सुधार ज़रूरी है।' उन्होंने सरकार से इस पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की।
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए रेल मंत्री की तारीफ़ की और एक तरह से बढ़ती आबादी को ज़िम्मेदार भी ठहराया। उन्होंने कहा, 'ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। ऐसी घटना नहीं घटनी चाहिए, इसके ऊपर सरकार उचित क़दम उठाएगी और रेलवे प्रशासन उचित क़दम उठाएगा। लेकिन एक बात है कि पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि रेलवे मंत्री ने मुंबई के लिए कई सुविधाएँ दी हैं, मुंबई को अधिक ट्रेनों की सहूलियत दी है, कई डिब्बे बढ़ाए हैं, इस सरकार में रेलवे मंत्री ने कई काम किए हैं, लेकिन आबादी और आने वाले लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, ओवर क्राउडिंग का मसला आता है और इसपर हल निकालना बेहद ज़रूरी है।'
महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा, 'दीवा और मुंब्रा के बीच लोकल ट्रेन से कुल आठ यात्रियों के गिरने की घटना दुखद है।' उन्होंने जांच का आश्वासन दिया और पीड़ितों के लिए सहायता की घोषणा की। उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, 'इस घटना पर गहरा दुख है। सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।' उन्होंने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और सहायता का भरोसा दिया।
प्रारंभिक जाँच में पता चला कि हादसा अत्यधिक भीड़ के कारण हुआ। कसारा लोकल ट्रेन में यात्रियों की भारी भीड़ थी, जिसके चलते कई लोग दरवाजे पर लटक रहे थे। हादसा उस समय हुआ, जब दरवाजे पर लटके यात्री दीवा और मुंब्रा स्टेशनों के बीच साइड ट्रैक से गुजर रही एक एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आ गए। रेलवे ने इस घटना की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
मुंबई शहर की जीवनरेखा लोकल ट्रेनें हैं ये बार-बार होने वाले हादसों के कारण चर्चा में रहती हैं। स्थानीय यात्रियों और निवासियों में भारी आक्रोश है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक यात्री ने कहा, 'ट्रेनों की संख्या बढ़ाने और सुरक्षा उपायों को लागू करने की ज़रूरत है। हर साल लोग इस तरह मरते हैं, लेकिन कोई ठोस क़दम नहीं उठाया जाता।'
रेलवे का स्वचालित दरवाजा लागू करने का फ़ैसला स्वागत योग्य है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इसे पूरी तरह लागू करने में समय लगेगा। साथ ही, ट्रेनों की फ्रिक्वेंसी और क्षमता बढ़ाने की मांग भी जोर पकड़ रही है। इस हादसे ने एक बार फिर रेलवे और सरकार के सामने यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।