नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में चल रहे आन्दोलन में बड़े पैमाने पर सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाया जा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने अप्रैल, 2009 में अपने एक फ़ैसले में कहा था कि सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को क़ैद की सजा के साथ ही अदालत को घटना के दिन क्षतिग्रस्त हुई संपत्ति के बाज़ार मूल्य के बराबर की राशि का जुर्माना भी दोषी पर लगाना चाहिए। जुर्माना अदा नहीं करने पर ऐसे व्यक्ति को अतिरिक्त क़ैद की सजा दी जानी चाहिए।