इंसान हो या सरकार, एक बार ग़लती करने पर इसे उसकी भूल मान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है और उसे माफ़ भी कर दिया जाता है। लेकिन अगर वही ग़लती बार-बार दोहराई जाए तो उसे इंसान या सरकार की मूल प्रवृत्ति मानने में कोई गुरेज़ नहीं होना चाहिए। सरकार विशेष की बात न करते हुए यह कहा जा सकता है कि यूपी-बिहार में जापानी इंसेफ़ेलाइटिस (चमकी बुखार) तथा एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस ) से बच्चों की सालोंसाल होती चली आ रही मौत कोई क़ुदरती क़हर नहीं बल्कि आपराधिक सरकारी लापरवाही की प्रवृत्ति का नतीजा है। इन दिनों बिहार का मुज़फ़्फ़रपुर मासूम बच्चों की मौत का मरकज़ बना हुआ है, और इन मौतों की दिन-ब-दिन बढ़ती संख्या अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बन रही हैं। अगर कोसी नदी को बिहार का शोक कहा जाता है तो आज जापानी इंसेफ़ेलाइटिस को बिहार का अभिशाप कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं! सैकड़ों बच्चों की मौत कोई त्रासदी नहीं, बल्कि नरसंहार है।