राजनीति और रणनीति में जो मुक़ाम यूरोपीय देशों में मैकियावली का है, भारत में चाणक्य का है, चीन में वहीं मुक़ाम शुन जू का है। मैकियावली और चाणक्य जहां शक्ति के उपासक हैं, सत्ता और सेना के बल पर शत्रु को परास्त करने पर ज़ोर देते हैं वहीं शुन जू कहता है कि बिना लड़े शत्रु को हराना सबसे बड़ा युद्ध कौशल है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में न कोई घुसा है, न घुसा हुआ है और न हमारी कोई पोस्ट क़ब्ज़े में ली गयी है। प्रधानमंत्री के इस बयान पर उनके समर्थक ख़ुशी मना सकते हैं। लेकिन हक़ीक़त यह है कि देश के प्रधानमंत्री ने बिना लड़े ही चीन के सामने समर्पण कर दिया। उन्होंने गलवान के मुद्दे पर देश से झूठ बोला है। इससे देश को धक्का लगा है और उसका माथा झुका है।
शुन जू “आर्ट ऑफ़ वॉर” में लिखता है - “सबसे बड़ा कौशल हर युद्ध लड़ कर जीतने में नहीं है, बल्कि शत्रु को बिना लड़े हराने में है।” शुन जू आगे लिखता है, “एक कुशल रणनीतिकार शत्रु को बिना युद्ध किए ही परास्त कर देता है।” मानना पड़ेगा कि चीन ने बिना युद्ध किए ही भारत को हरा दिया।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।