लिव इन रिलेशन पर पिछले सप्ताह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फ़ैसला कई मायनों में विचार करने योग्य है। जस्टिस मदान ने एक घर से कथित तौर पर भागे हुए जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने से इनकार करते हुए लिव इन रिलेशनशिप को सामाजिक और नैतिक रूप से ग़लत कहा है। हालाँकि एक दूसरी बेंच ने सुरक्षा देने का आदेश दिया है और यह भी कहा है कि दो वयस्क अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जी सकते हैं। लेकिन इससे लिव इन रिलेशनशिप पर बहस को नई दिशा ज़रूर मिली है।