अयोध्या में बनने जा रहे रामजन्मभूमि मंदिर सहित 70 एकड़ परिसर की भव्यता पर 1,100 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे। यह निर्माण कार्य 3 वर्ष में पूरा होने का अनुमान है। प्रस्तावित राम मंदिर के वैभव की झलक गणतंत्र दिवस पर दिल्ली स्थित राजपथ पर निकली महर्षि वाल्मीकि और राम मंदिर की प्रतिकृति से सुसज्जित उत्तर प्रदेश की झाँकी में मिल जाती है। देश-विदेश में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के हज़ारों मंदिर हैं। ऐसे में अयोध्या स्थित निर्माणाधीन मंदिर क्या एक अन्य राम मंदिर की भांति होगा- जिसकी विशेषता केवल उसकी सुंदरता, भव्यता और विशालता तक सीमित होगी या फिर इसका महत्व कहीं अधिक व्यापक है?
राम मंदिर निर्माण: राजा राम ने सदैव राजधर्म को चुना
- विचार
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- 28 Jan, 2021

श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण की आधारशीला रखी गई।
अयोध्या में बनने जा रहे रामजन्मभूमि मंदिर सहित 70 एकड़ परिसर की भव्यता पर 1,100 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे। यह निर्माण कार्य 3 वर्ष में पूरा होने का अनुमान है।
करोड़ों हिंदुओं की आस्था है कि श्रीराम, भगवान विष्णु के एक अवतार हैं। क्या राम को केवल इस परिचय की परिधि से बांधा जा सकता है? वास्तव में, श्रीराम ही भारतीय सनातन संस्कृति की आत्मा हैं, जिनका जीवन इस भूखंड में बसे करोड़ों लोगों के प्रेरणास्रोत है। वे अनादिकालीन भारतीय जीवनमूल्य, परंपराओं और कर्तव्यबोध का शाश्वत प्रतीक हैं। इसलिए गांधी जी के मुख पर श्रीराम का नाम रहा, तो उन्होंने आदर्श भारतीय समाज को रामराज्य में देखा। यह विडंबना ही है कि स्वतंत्रता के बाद जीवन के अंतिम क्षणों में राम का नाम (हे राम) लेने वाले बापू की दिल्ली स्थित राजघाट समाधि तो बीसियों एकड़ में फैली है, किंतु 5 अगस्त 2020 से पहले स्वयं रामलला अपने जन्मस्थल पर अस्थायी तिरपाल और तंबू में विराजमान रहे। यही नहीं, 2007 में स्वघोषित गांधीवादियों ने अदालत में श्रीराम को काल्पनिक बता दिया।