अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की तारीफ़ के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और पूछा कि उस मोदी-ट्रंप की दोस्ती का क्या हुआ?
कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला, जब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिस्र में आयोजित ग़ज़ा शांति सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की खुलेआम तारीफ की। कांग्रेस ने पूछा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप को अपना 'अच्छा दोस्त' बताते रहे हैं तो सवाल है कि 'मोदी-ट्रंप के बीच ये कैसी दोस्ती है?'
डोनाल्ड ट्रंप ने शर्म अल-शेख में आयोजित ग़ज़ा शांति सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को मंच पर बोलने का न्योता दिया और मुनीर को 'मेरा पसंदीदा फील्ड मार्शल' कहकर संबोधित किया, जो वहां मौजूद नहीं थे। ट्रंप ने पाकिस्तानी सेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्रीय शांति 'अच्छे दोस्तों के अच्छे कामों' पर निर्भर करती है। उसी सम्मेलन में ट्रंप ने भारत की भी तारीफ़ की, लेकिन बिना प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए कहा, 'भारत एक महान देश है जहाँ मेरे एक अच्छे दोस्त के नेतृत्व में सब कुछ शानदार चल रहा है।' इस बयान को कांग्रेस ने 'दोहरी चाल' क़रार दिया, जो भारत की कूटनीतिक विश्वसनीयता को नुक़सान पहुँचा रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी लगातार राष्ट्रपति ट्रंप को अपना अच्छा दोस्त बताते हैं और ट्रंप भी मोदी को अपना अच्छा दोस्त कहते हैं। लेकिन मिस्र में ट्रंप ने आसिम मुनीर को 'मेरा पसंदीदा फील्ड मार्शल' कहकर विशेष स्थान दिया। ये कौन सा संकेत है जो ट्रंप भारत को भेज रहे हैं, जबकि मोदी जी ट्रंप को खुश करने के लिए इतने हताश प्रयास कर रहे हैं?"
रमेश ने आगे कहा, 'मुनीर न तो पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष हैं और न ही सरकार प्रमुख, फिर भी उन्हें व्हाइट हाउस में लंच पर आमंत्रित किया जाता है और उनकी इतनी तारीफ होती है। ये भारत की कूटनीति के लिए बड़ा झटका है।'
बंद कमरे में ट्रंप-मुनीर बातचीत के मायने
कांग्रेस का यह हमला जून 2025 से चली आ रही घटनाओं के संदर्भ में है। जून में ही ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मुनीर को बंद कमरे में लंच पर बुलाया था और उन्हें 'अत्यंत प्रभावशाली' बताया था। ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान युद्ध रोकने में मुनीर की भूमिका की सराहना की। इसके अलावा, ट्रंप ने 33 बार दोहराया कि उन्होंने 'व्यापारिक दबाव' डालकर भारत-पाक सीजफायर कराया, जिसको मोदी सरकार ने खारिज किया था। कांग्रेस ने तब भी कहा था कि मोदी की 'पीआर मशीनरी' का हाइप फूट गया है।
जयराम रमेश ने अगस्त 2025 में भी ट्रंप के भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने के फ़ैसले पर मोदी की 'हग डिप्लोमेसी' (गले लगाने की कूटनीति) को नाकाम बताते हुए तंज कसा था। उन्होंने लिखा था, 'मोदी जी ने ट्रंप को एलजेब्रा सिखाने की कोशिश की थी (MAGA + MIGA = MEGA), लेकिन अब ट्रंप मुनीर को 'अमेरिका का चहेता' बना चुके हैं।" कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इसे 'आर्थिक ब्लैकमेल' क़रार दिया था।
ट्रंप-मुनीर की नजदीकी
माना जा रहा है कि ट्रंप की यह तारीफ पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व को वैधता प्रदान करती है, जो भारत के लिए रणनीतिक झटका है। अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए घातक आतंकी हमले के लिए कांग्रेस ने मुनीर के 'भड़काऊ और सांप्रदायिक बयानों' को जिम्मेदार ठहराया था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारत ने पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर हमले किए थे, लेकिन ट्रंप का दावा है कि उन्होंने युद्ध रोका।
फरवरी 2025 में मोदी-ट्रंप की बातचीत के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा था, 'भारत ने कभी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की, न अब स्वीकार करेगा।' लेकिन ट्रंप के मुनीर को सम्मान देने से यह दावा कमजोर पड़ता दिख रहा है। जून 2025 में मोदी ने ट्रंप से फ़ोन पर बात की, जिसमें सीजफायर पर स्पष्टीकरण दिया, लेकिन उसी दिन ट्रंप ने मुनीर को लंच पर बुला लिया।
ग़ज़ा शांति सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने किया, जो मोदी के विशेष दूत थे। सम्मेलन में इसराइल-हमास युद्ध के ख़त्म होने के बाद बंधकों की रिहाई का स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप के शांति प्रयासों की सराहना की, लेकिन कांग्रेस ने इसे 'चुप्पी का साथ' बताया।
भारत-अमेरिका संबंधों पर सवाल
यह विवाद भारत-अमेरिका संबंधों के बीच व्यापारिक तनाव को भी सामने लाता है। ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ के बाद भारत ने रूसी तेल आयात जारी रखा, जिसे व्हाइट हाउस ने नापसंद किया। जानकारों का कहना है कि ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति पाकिस्तान को मध्य पूर्व शांति के लिए उपयोगी मान रही है, लेकिन इससे भारत की स्वतंत्र विदेश नीति प्रभावित हो रही है।
कांग्रेस ने मांग की है कि मोदी सरकार ट्रंप के बयानों पर स्पष्टता लाए और मुनीर की तारीफ को 'पाकिस्तानी सैन्यवाद को बढ़ावा' बताए।