अमेरिका के मंत्री ब्लिंकेन से जब यह सवाल ‘अल जज़ीरा’ के संवाददाता ने किया कि आख़िर इन 3 हफ़्तों में इज़राइल ने क्या हासिल किया है तो वह जवाब क्यों न दे सके? जानें हमास पर हमले की असल वजह।
इजराइल-हमास युद्ध पर जिस तरह की प्रतिक्रिया अंतरराष्ट्रीय तौर पर अब मिल रही है क्या दशकों से मिलती रही है? पिछले एक दशक में 30 हज़ार बच्चों सहित डेढ़ लाख लोगों की मौत मुद्दे क्यों नहीं बनी?
हम हिंदू समाज को इस पर विचार करने की ज़रूरत है कि क्या कोई कार्यक्रम अब बिना दूसरे समुदाय को अपमानित किए नहीं हो सकता?
भारत और ऑस्ट्रेलिया का क्रिकेट मैच था तो इसमें प्रधानमंत्री मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम का कार्यक्रम क्यों रखा गया? दिन खिलाड़ियों का और खेल का था। तो फिर राजनेता क्या अपनी छवि चमकाने पहुँचे थे?
बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने जब कहा कि 'रामचरितमानस' की कुछ पंक्तियाँ समाज में घृणा फैलाती हैं तो इस पर विवाद क्यों है? पढ़िए, अपूर्वानंद की क़लम से, आख़िर इसमें सच क्या है।
राष्ट्रीय आंदोलन में हिंदुओं और मुसलमानों की भागीदारी कैसी हो, किस तरीक़े से मुसलमानों को राष्ट्रीय आंदोलन में साथ लेकर चला जाए? जानिए आज से 90 साल पहले प्रेमचंद ने ‘नवयुग’ शीर्षक से लेख में क्या लिखा था।
राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू की जीत से क्या यह संदेश जाता है कि भाजपा और संघ ने सामाजिक न्याय का जाप करने वाली पार्टियों को उन्हीं के मैदान में पछाड़ दिया है।
मध्य प्रदेश में भँवरलाल जैन की पीट-पीट कर हत्या क्यों की गई? इस शक में कि वह मुसलिम थे? क्या एक समुदाय विशेष से होना अपराध है? इस पर सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया कैसी है?
आशरीन सुल्ताना से शादी करने पर नागराजू की हत्या का मुसलिम समाज ने निंदा की। वे समर्थन में नहीं आए, बल्कि विरोध किया। लेकिन क्या अब नागराजु की हत्या का इस्तेमाल मुसलिम विरोधी नफ़रत के लिए नहीं किया जा रहा है?
नफरत को बढ़ावा देने वाली बयानबाजी पर दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी के बाद सवाल यह खड़ा होता है कि क्या धार्मिक आधार पर नफरत फैलाने के बाद सजा से बचने के लिए बड़ी चतुराई से कानून का सहारा लिया जा रहा है?
कर्नाटक में मुसलिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर आपत्ति क्यों है और इसके विरोध में भगवा गमछा पहनने का आशय क्या है?
30 जनवरी, 1948 की रात जिस महात्मा गांधी की हत्या पर खुशी मनाई गई, उसी व्यक्ति की मृत्यु के शोक में 13 दिन अपने केंद्र क्यों बंद कर दिए?
पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार के ख़िलाफ़ वहां की सरकारों ने सख़्ती दिखाई है लेकिन भारत इस मामले में पीछे क्यों दिखता है।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने देश का आंतरिक शत्रु के मुद्दे पर जो कुछ कहा है, वह क्यों चिंता की बात है, बता रहे हैं लेखक अपूर्वानंद।
राहुल गांधी ने हिंदुत्व का सवाल खड़ा कर एक बहस को जन्म दिया है। आखिर क्या है हिंदुत्व? क्या हिंदुत्व और हिंदू धर्म एक ही है? या दोनों में फ़र्क़ है? आशुतोष ने जानने की कोशिश की प्रो अपूर्वानद से।
महात्मा गांधी का इस्तेमाल क्या सरकारों ने अपने-अपने तरीक़े से नहीं किया है? राज्यों ने क्या गांधी की एक ऐसी सरलीकृत छवि निर्मित नहीं की है जो किसी के लिए असुविधाजनक नहीं रहे?
एनसीईआरटी द्वारा मंजूर की गई कक्षा दो की एक किताब को लेकर विवाद क्यों है? मुसलिमों के लिए मुसलिम और हिंदुओं के लिए हम का इस्तेमाल क्यों?
किस तरह के सकारात्मक रवैए की अपेक्षा की जाती है? प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर एक दिन में 2.5 करोड़ टीके लगने से पहले और बाद में 50-60 लाख ही टीके लगाया जाना कैसी सकारात्मकता है और केरल में ईसाई-मुसलमान सद्भाव की बात करना कैसी सकारात्मकता?
इमा राडुकानू की यूएस ओपन में जीत पर चार-चार मुल्कों में तालियाँ बज रही हैं। इमा आप्रवासी हैं। उन्होंने ब्रिटेन को 44 साल बाद यह ट्रॉफी दिलाई है। यह जीत ऐसे समय में आई है जब इंग्लैंड की गृह मंत्री आप्रवासियों को वापस धकेलने की बात कह रही हैं।
नसीरुद्दीन शाह ने तालिबान का समर्थन करने वाले भारतीय मुसलमानों को संदेश दिया। उन्होंने हिंदुस्तानी इस्लाम और दुनिया के बाक़ी हिस्सों के इस्लाम के बीच फर्क बताया है। आख़िर उनके बयान पर विवाद क्यों है?
हज़ारों अफ़ग़ानिस्तानी अपना देश छोड़ कर कहीं और पनाह लेना चाहते हैं। अभी जब अफ़ग़ानिस्तान के लोग त्राहिमाम करते हुए पूरी दुनिया से शरण मांग रहे हैं तो उसकी प्रतिक्रिया क्या है?
तालिबान के पहले बयानों में जनतंत्र को ठुकरा दिया गया है। हम जो न तो राज्य हैं, न विशेषज्ञ, हम तालिबान को जनतांत्रिक, मानव अधिकार के उसूलों की कसौटी पर ही परखेंगे।
दिल्ली के द्वारका में हज हाउस के विरोध के नाम पर मुसलमान विरोधी अभियान कुछ दिनों से चल रहा था। वही मुसलमान विरोधी नफरत!
सीमा विवाद के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अभी जो हो रहा है, वह नया और चिंताजनक है। असम के मुख्यमंत्री ने तय कर लिया है कि वे राज्य में किसी न किसी प्रकार तनाव का निर्माण करेंगे और जो तनाव पहले से हैं, उन्हें बढ़ाएंगे।
पेगासस तकनीक के सहारे जासूसी की अंतरराष्ट्रीय ख़बर के बाद इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या ऐसी तकनीक की इज़ाज़त किसी रूप में देनी चाहिए जो राज्य के लिए हमारी निजता का पूरी तरह से अतिक्रमण करना इतना आसान बना दे?
एनएसओ का कहना है कि वह पेगासस सिर्फ़ सरकारों या उनकी संस्थाओं को बेचती है। तो क्या भारत में भारत सरकार यह कर रही है? या कोई और सरकार इसके ज़रिए भारत के पूरे तंत्र की जासूसी कर रही है? दोनों ही गंभीर चिंता का विषय हैं।