गांधी जयंती के ठीक पहले मालूम हुआ कि छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूली पाठ्यचर्या में गांधी को शामिल करने का फ़ैसला किया है। बयान में कहा गया कि शहरी और ग्रामीण, दोनों ही क्षेत्रों के स्कूलों में 5वीं से 12वीं तक के छात्रों को गांधी की बुनियादी शिक्षाओं से परिचित कराया जाएगा। मक़सद यह है कि उनके माध्यम से छात्र आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ सकें। उनके व्यक्तित्व का चहुँमुखी विकास भी हो सके। साथ ही यह भी कहा गया है कि छात्रों को सरकार की सुरजी गाँव योजना के बारे में भी बताया जाएगा जिसे 'नरवा, गरवा, घुरुवा, बाड़ी' के नाम से भी जाना जाता है।
गांधी के साथ सबसे बड़ी दुर्घटना हुई है गांधी का राज्यीकरण
- वक़्त-बेवक़्त
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- 4 Oct, 2021

महात्मा गांधी का इस्तेमाल क्या सरकारों ने अपने-अपने तरीक़े से नहीं किया है? राज्यों ने क्या गांधी की एक ऐसी सरलीकृत छवि निर्मित नहीं की है जो किसी के लिए असुविधाजनक नहीं रहे? अब पाठ्यक्रम में अलग से गांधी ही क्यों? और उनके माध्यम से आत्मनिर्भरता का मूल्य ही क्यों? अहिंसा का क्यों नहीं, धर्मनिरपेक्षता का मूल्य क्यों नहीं? पूँजीवाद के प्रति उनकी आलोचना क्यों नहीं?
सरकारी विज्ञप्ति में इससे आगे कुछ नहीं बतलाया गया है। जाहिर है, यह इरादे का ऐलान है, पाठ्यचर्या या पाठ्यक्रम में शामिल करने के तरीक़े अभी खोजे जाएँगे। गांधी की बुनियादी शिक्षा क्या है, इसपर बहस हो सकती है। क्या क्या पाठ्यचर्या में, किस किस कक्षा में, किस-किस विषय में शामिल किया जाए। गांधी का लिखा सीधे या उनपर लिखा? क्या उन्हें सरल करके किताबों में डाला जाए? अभी इन सवालों पर विचार किया जाएगा।