G 20 कामयाब लेकिन देश में समस्याओं का पहाड़ । महंगाई और बेरोज़गारी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है ? क्या हुआ उनका वादा कि बहुत हुई महंगाई की मार ? क्यों उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह की आर्थिक प्रगति का मुकाबला नहीं कर पाया । क्यों वो आर्थिक मोर्चे पर असफल साबित हो रहे हैं ? आशुतोष बता रहे है ।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के बीच भारत में जीडीपी वृद्धि दर गिरने के संकेत मिलने लगे हैं। जानिए तीसरी तिमाही को लेकर अब क्या आशंका जताई जा रही है।
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2004 से 14 के बीच मौके गंवा दिए पिछली सरकार ने। दस साल बर्बाद हो गए। नौ साल सरकार चलाने के बाद पिछले दस साल का भूत क्यों जगा रहे हैं प्रधानमंत्री? क्या है अर्थव्यवस्था की असलियत? वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार टीसीए श्रीनिवास राघवन के साथ
ऐसे में जब 2023 में वैश्विक मंदी की आशंका जताई जा रही है, क्या भारत की अर्थव्यवस्था में कुछ उम्मीद बाक़ी है? विश्व बैंक किस आधार पर कह रहा है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर साढ़े छह फीसदी से ज़्यादा रहेगी?
औद्योगिक उत्पादन में चार परसेंट की गिरावट। कैसे गड्ढे में पहुंच गई बाज़ार में मांग? क्या है इस हाल के लिए जिम्मेदार? गांवों से लेकर विदेशी बाज़ारों तक बिखरे हैं इस परेशानी के कारण। अर्थशास्त्री प्रो संतोष मेहरोत्रा से आलोक जोशी की बातचीत।
सुप्रसिद्ध इकोनॉमिस्ट पत्रिका ने अपने ताजा अंक में भारत का आर्थिक भूगोल पेश किया है। जिसमें उत्तर और दक्षिण भारत की तुलना की गई है। लेखक और चिन्तक अरुण माहेश्वरी का कहना पत्रिका का आकलन आंख खोलने वाला है, क्योंकि जिस तरह केंद्र सरकार एक भाषा, एक दल, एक राष्ट्र जैसे विचार को बढ़ा रही है, वो खतरनाक है। पढ़िए उनकी पूरी बात।
दुनिया एक भयानक आर्थिक मंदी के दौर में जा रहा है । अमेरिका, चीन और यूरोप सबकी अर्थव्यवस्था संकट में । बेरोज़गारी और महंगाई कई देशों को दिवालिया कर सकती है । सरकारें गिर सकती है ? क्या होगा भारत का ? कैसे निपटेगी की मोदी सरकार ? आशुतोष के साथ चर्चा में प्रो संतोष मेहरोत्रा, सौरभ झा और नरेंद्र तनेजा ।
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक हालात के ख़राब होने का असर भारत की विकास दर पर काफ़ी ज़्यादा पड़ेगा? जानिए, विश्व बैंक ने क्यों विकास दर अनुमान को क्यों घटाया।
अमेरिका, ब्रिटेन, चीन सहित दुनिया भर में आर्थिक हालात बेहद ख़राब होने के संकेत मिल रहे हैं तो क्या भारत इससे बच बाएगा? यदि भारत को इससे मुकाबला करना है तो इसे क्या करने की ज़रूरत है?
दुनिया भर के देशों के सामने आ रहे आर्थिक संकट के बीच अब भारत की आर्थिक स्थिति को लेकर आख़िर चिंताएँ क्यों उठने लगी हैं? क्या विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ रहा है इसलिए?
भारत का दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कितनी बड़ी उपलब्धि है? भारत ब्रिटेन से आगे कैसे निकला? क्या ये मोदी की आर्थिक नीतियों की वज़ह से हुआ? इस घटना से क्या साबित होता है? क्या भारत पहले के मुक़ाबले ज़्यादा खुशहाल, समृद्ध हो गया है? क्या भारत की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हो गई है?