यूपी कैबिनेट ने शहरी निकाय चुनाव में ओबीसी कोटा तय करने के लिए बने पैनल की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। हालांकि रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन यह तय है कि कोटा लागू होने पर राज्य में शहरी निकायों की राजनीतिक तस्वीर बदल जाएगी। हर राजनीतिक दल अपने फायदे-नुकसान के गुणाभाग में जुट गया है।
यूपी में ओबीसी राजनीति फिर से तेज होने जा रही है। हाईकोर्ट ने आज मंगलवार को स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण रद्द कर दिया है। बीजेपी आरोपों से घिर गई है, क्योंकि हाल के वर्षों में ओबीसी वोट का सबसे ज्यादा फायदा उसी को मिला है। ओबीसी पॉलिटिक्स का पूरा गणित समझने के लिए इस रिपोर्ट को पढ़िएः
अखिलेश यादव और ओमप्रकाश राजभर ने कभी कसम खाई थी कि अति पिछड़ों को धोखा देने वाली बीजेपी को दोनों मिलकर सबक सिखाएंगे। आज यह दिन है कि सपा दफ्तर में राजभर की एंट्री बैन करने का होर्डिंग लगा दिया गया है। यूपी की राजनीति में यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है। पूरी कहानी जानिएः
पिछले चुनाव में बीजेपी को अति पिछड़ों और अति दलितों का ज़बरदस्त समर्थन मिला था। लेकिन इस बार हालात अलग हैं और ऐसा लगता है कि बीजेपी की राह यूपी में आसान नहीं है।