उर्दू को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी का रवैया पक्षपातपूर्ण होता जा रहा है। डीयू के कई कॉलेजों में उर्दू टीचर के पद खाली पड़े हैं, जिन्हें जानबूझकर नहीं भरा जा रहा है। लेकिन अभी एक और घटना हुई जब डीयू के डॉ आम्बेडकर कॉलेज में थिएटर सोसायटी इलहाम का नाम बदल दिया गया।
शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी 25 दिसम्बर को इस फानी दुनिया से जुदा हो गए। वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश में जन्मे फ़ारुक़ी को 'सरस्वती सम्मान, 'पद्म श्री' समेत कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया था।
हिंदी बल्कि कहना चाहिए कि हिंदुस्तानी उपन्यास के विकास क्रम में 'काला जल' की दस्तावेज़ी अहमियत पहले संस्करण (प्रकाशन काल: 1965) से ही स्थापित हो गई थी।