Sanctioning Russia Act: डोनाल्ड ट्रंप क्या रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर इतना ज़्यादा टैरिफ़ थोप देंगे कि उन देशों को अमेरिका से व्यापार करना मुश्किल हो जाएगा? जानिए, भारत जैसे देशों पर किस तरह के टैरिफ़ का ख़तरा मंडरा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उस नए सीनेट बिल का समर्थन किया है, जो रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव करता है। इन देशों में भारत और चीन जैसे देश शामिल हैं। इस बिल का मक़सद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन युद्ध को ख़त्म करने के लिए दबाव डालना है। इस क़दम से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि भारत रूस से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल आयात करता है।
'सैंक्शनिंग रूस एक्ट 2025' नाम का यह बिल अप्रैल 2025 में रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा सीनेट में पेश किया गया था। ग्राहम ट्रंप के करीबी सहयोगी हैं। इस बिल में उन देशों पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है जो रूस से कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद खरीदते हैं। इसके अलावा बिल में रूसी कंपनियों, सरकारी संस्थानों और वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है।
सीनेटर ग्राहम ने एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा है, 'अगर आप रूस से उत्पाद खरीद रहे हैं और यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे तो आपके उत्पादों पर अमेरिका में 500% टैरिफ़ लगाया जाएगा। भारत और चीन रूस के 70% तेल का निर्यात खरीदते हैं। ये पुतिन की युद्ध मशीन को चलाने में मदद कर रहे हैं।' ग्राहम ने यह भी दावा किया कि इस बिल को सीनेट में 84 सह-प्रायोजकों का समर्थन प्राप्त है, जिससे इसके पारित होने की संभावना मज़बूत है।
ट्रंप ने क्या कहा है?
व्हाइट हाउस में एक कैबिनेट बैठक के दौरान ट्रंप ने इस बिल के प्रति अपनी स्थिति साफ़ करते हुए कहा, 'मैं इस बिल को बहुत गंभीरता से देख रहा हूँ। यह पूरी तरह मेरे विकल्प पर है कि इसे लागू किया जाए या नहीं।' उन्होंने पुतिन के प्रति अपनी बढ़ती निराशा को भी व्यक्त किया, क्योंकि रूस यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध को ख़त्म करने से इनकार कर रहा है। ट्रंप ने हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग को यूक्रेन को और अधिक रक्षात्मक हथियार भेजने का निर्देश दिया है, जो उनकी सख्त नीति को दिखाता है।
ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि इस बिल में एक राष्ट्रीय सुरक्षा छूट का प्रावधान भी शामिल है, जो राष्ट्रपति को 180 दिनों के लिए किसी देश को टैरिफ़ से छूट देने की अनुमति देता है, यदि यह अमेरिका के राष्ट्रीय हित में हो। यह खंड भारत जैसे देशों के लिए कुछ राहत दे सकता है, लेकिन इसका उपयोग पूरी तरह राष्ट्रपति के विवेक पर निर्भर करेगा।
भारत पर क्या हो सकता है असर?
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है। 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से भारत में रूसी तेल के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है।
पश्चिमी प्रतिबंधों और यूरोपीय देशों द्वारा रूसी तेल की खरीद कम करने के कारण रूस ने अपने कच्चे तेल को रियायती क़ीमतों पर बेचना शुरू किया, जिसका भारत ने लाभ उठाया। मई 2025 में भारत रूस से तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था।
यदि यह बिल क़ानून बनता है और 500% टैरिफ़ लागू किया जाता है तो भारत के अमेरिका को निर्यात पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2024-25 में 68.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, ऑटोमोटिव पार्ट्स और आईटी सेवाएं जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इस तरह के टैरिफ़ से इन क्षेत्रों को गंभीर नुक़सान हो सकता है, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। सिटी रिसर्च के अनुमान के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष 7 बिलियन डॉलर का नुक़सान हो सकता है।
इस बिल पर भारत ने क्या कहा
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने इस बिल के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'अमेरिकी कांग्रेस में होने वाली किसी भी घटना पर हमारी नजर है, खासकर अगर यह हमारे हितों को प्रभावित कर सकती है। हमने सीनेटर ग्राहम के साथ संपर्क बनाए रखा है। हमारे दूतावास और राजदूत ने उनसे बात की है। हमने अपनी ऊर्जा सुरक्षा के बारे में अपनी चिंताओं और हितों को उनके सामने रखा है। अगर यह स्थिति आती है, तो हम उसका सामना करेंगे।' जयशंकर ने यह भी जोर दिया कि भारत का रूस से तेल खरीदना पूरी तरह क़ानूनी है और यह राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा के हित में है। भारत ने हमेशा रूस के साथ अपने लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को बनाए रखा है, और उसने पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल खरीदना जारी रखा है।
द्विपक्षीय व्यापार वार्ता
इस संकट के बीच भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 500 बिलियन डॉलर करना है। ट्रंप ने हाल ही में कहा, 'मुझे लगता है कि हम भारत के साथ एक समझौता करने जा रहे हैं। यह एक अलग तरह का समझौता होगा, जिसमें हम भारत के बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।'
हालाँकि, व्यापार वार्ता में भारत का कृषि क्षेत्र और खासकर डेयरी क्षेत्र एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। अमेरिका भारत के बाजार में सेब, मेवे और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों के लिए अधिक पहुंच चाहता है, जबकि भारत कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा और कृषि उत्पादों जैसे निर्यात के लिए बेहतर बाजार पहुंच की मांग कर रहा है।
रूस की प्रतिक्रिया
रूस ने इस प्रस्तावित बिल पर अपनी प्रतिक्रिया में सीनेटर ग्राहम को 'कट्टर रूस-विरोधी' करार दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, 'ग्राहम के विचार हमें और पूरी दुनिया को अच्छी तरह पता हैं। अगर उनके हिसाब से चलता तो ये प्रतिबंध बहुत पहले लागू हो चुके होते। सवाल यह है कि क्या इससे यूक्रेन में शांति प्रक्रिया को मदद मिलेगी?'
इस बिल के पारित होने से वैश्विक व्यापार और सप्लाई चेन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। चीन अमेरिकी उपभोक्ता सामानों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। इसको भी इस टैरिफ़ से नुक़सान हो सकता है, जिससे वैश्विक क़ीमतों में वृद्धि और सप्लाई चेन में व्यवधान हो सकता है।
बिल का अब क्या होगा
यह बिल अगस्त 2025 में सीनेट में पेश किए जाने की उम्मीद है। यदि यह पारित हो जाता है तो भारत और चीन जैसे देशों के साथ अमेरिका का व्यापारिक संबंध नया रूप ले सकता है। भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को संतुलित करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज करने होंगे। इस बीच, ट्रंप की सख्त नीति और इस बिल का समर्थन उनके दूसरे कार्यकाल में एक आक्रामक विदेश नीति की ओर इशारा करता है।