France Block Everything Movement: फ्रांस में राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ जनता का गुस्सा ‘सब कुछ रोक दो’ प्रदर्शन के जरिए बाहर आया है। ये आंदोलन अब राष्ट्रपति मैक्रों के लिए मुसीबत बन गया है। प्रदर्शनकारी अब मैक्रों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
फ्रांस में ब्लॉक एवरीथिंग यानी सबकुछ रोक दो प्रदर्शन
फ्रांस में बुधवार को जनता ने ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन के जरिए राष्ट्रपति मैक्रों का इस्तीफा मांगा। देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान भारी हिंसा हुई। सोशल मीडिया से शुरू हुए इस आंदोलन का विकराल रूप बुधवार को सामने आया। देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच पुलिस ने करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया। करीब एक लाख लोग सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार अमीरों के लिए काम कर रही है। इस प्रदर्शन का नाम ब्लॉक एवरीथिंग (Block Everything) दिया गया है। हालांकि ये आंदोलन लंबे समय से चल रहा है। इस बीच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने करीबी सहयोगी और रक्षा मंत्री सेबास्तियन लेकोर्नु को नया पीएम चुना। इस फैसले ने वामपंथी नेताओं में भारी गुस्सा पैदा कर दिया। दो साल के अंदर फ्रांस में पांचवा प्रधानमंत्री सत्ता में आया है।
मैक्रों ने लेकोर्नु को नियुक्त करने के बाद निर्देश दिया कि वे संसद में सभी राजनीतिक दलों से सलाह करें। यह राष्ट्रीय बजट को पास कराने के लिए जरूरी है। फ्रांस इस समय भारी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। बेयरो को यूरोप में सबसे अधिक बजट घाटे से निपटने की कोशिश के दौरान हटाया गया। लेकिन असली मुद्दा बुधवार का आंदोलन है।
क्या है ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन, कैसे शुरुआत हुई
"Bloquons Tout" आंदोलन मई 2025 में सोशल मीडिया पर उभरा, जब प्रधानमंत्री (अब पूर्व) फ्रांस्वा बायरो ने 2026 के लिए कई सारी कटौती वाला बजट प्रस्तावित किया। जिसमें दो सार्वजनिक छुट्टियों की समाप्ति, पेंशन पर अस्थायी रोक और स्वास्थ्य सेवा समेत कई सार्वजनिक खर्चों में कटौती शामिल थी। शुरुआती घोषणा TikTok, Telegram और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर एक फ्रांसीसी नागरिक समूह Les Essentiels द्वारा की गई थी, जो प्रारंभ में दक्षिणपंथी या संपूर्णतावादी (far-right) विचारधाराओं से जुड़ा माना जाता था
कैसे बना जन आंदोलन
यह आंदोलन बिना किसी केंद्रीय नेतृत्व के खड़ा हुआ। यह कुछ हद तक 2018 के "Yellow Vest" आंदोलन की तरह है। सोशल मीडिया पर जब ब्लॉक एवरीथिंग मशहूर होने लगा तो कुछ मजदूर संगठनों और लेफ्ट-सेंटरिस्ट दलों ने भी इसमें समर्थन देना शुरू कर दिया है। इस वजह से यह आंदोलन कुछ हद तक पारंपरिक राजनीतिक दलों और यूनियनों से बाहर, एक व्यापक नागरिक अपना आंदोलन बन गया है।
ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन में 10 सितंबर का महत्व
कई दिनों से फ्रांस में 10 सितंबर को सब कुछ रोकने या पूर्ण हड़ताल की बात हो रही थी। आंदोलन की रूपरेखा सोशल मीडिया पर पेश की गई। जिसमें देशव्यापी बंद (shutdown) का आह्वान किया गया। मतलब कोई भुगतान, कोई खरीद-फरोख्त, कोई काम नहीं। सोशल मीडिया पर दर्ज किया गया- "On 10 September we’re not paying, we’re not consuming, and we’re not working." इस तारीख को फ्रांसीसी समाज में व्यापक समर्थन मिला: सोशल मीडिया पर अभियान और हैशटैग्स वायरल हुए, कई शहरों में स्थानीय मीटिंग्स भी आयोजित हुईं।
बढ़ता असंतोष और विरोधः इसके विरोध की खास वजह है फ्रेंच सरकार की कटौती वाली नीतियां, सामाजिक असमानता, श्रम-शोषण और राजनीतिक अस्थिरता है। जनता को शिकायत है कि सरकार बड़ी कंपनियों और अमीरों को लाभ पहुंचा रही है, जबकि आम जनता को कष्ट में फ़ंसाया जा रहा है। सीजीटी यूनियन के प्रतिनिधि फ्रेड ने रॉयटर्स से कहा, “फ्रांस के मंत्री एक समस्या हैं, लेकिन असल में मैक्रों और उनके काम करने का तरीका है समस्या है। जिसके कारण उन्हें जाना होगा।” विपक्षी दलों का कहना है कि मैक्रों द्वारा एक और वफादार को चुनने से मतदाताओं में निराशा और बढ़ गई है।
10 सितंबर को, प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन स्टेशन, हवाई अड्डे, राजमार्ग, और सार्वजनिक सेवाओं में बाधा डालने की कोशिश की। कुछ जगहों पर बसे जलाई गईं, सड़कों को ब्लॉक किया गया, पुलिस ने टियर गैस का भी इस्तेमाल किया।
अति-वामपंथी फ्रांस अनबाउंड के नेता जीन-ल्यूक मेलेंशोन ने सोशल मीडिया पर कहा, “केवल मैक्रों का जाना ही संसद, मतदाताओं और राजनीतिक शालीनता के प्रति इस दुखद तमाशे को खत्म कर सकता है।” वहीं, दक्षिणपंथी नेशनल रैली के नेता जॉर्डन बार्डेला ने तंज कसते हुए कहा, “इमैनुएल मैक्रों का नारा है...आप हारने वाली टीम को नहीं बदल सकते। यानी जब आप हार रहे होते हैं तो टीम को बदला नहीं करते। इसीलिए वो बार-बार अपने खास को प्रधानमंत्री बना देते हैं।