अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब संयुक्त राष्ट्र में दावा कर दिया कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध ख़त्म कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच हुए युद्धविराम को लेकर ट्रंप लगातार ऐसा दावा करते रहे हैं, जबकि भारत इन दावों को खारिज करता रहा है और कहता रहा है कि वह द्विपक्षीय मामलों में तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता है। इसके बावजूद ट्रंप लगातार अपने दावे पर अडिग हैं। उन्होंने भारत और चीन को यूक्रेन युद्ध का मुख्य फंड मुहैया कराने वाला भी क़रार दिया है।

ट्रंप ने 80वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए में अपने संबोधन के दौरान दावा किया कि उन्होंने अपने कार्यकाल के सात युद्धों को ख़त्म कर दिया है। ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा, 'मैंने सात महीनों में सात अंतहीन युद्धों को ख़त्म किया। कुछ 31 साल, कुछ 36 साल से चल रहे थे। मैंने भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, सर्बिया-कोसोवो, कांगो-रवांडा, इसराइल-ईरान, मिस्र-इथियोपिया, और आर्मेनिया-अजरबैजान जैसे संघर्षों को खत्म किया।' उन्होंने दावा किया कि 60% युद्ध व्यापारिक दबाव के कारण रुके, खासकर भारत-पाकिस्तान मामले में। उन्होंने कहा, 'मैंने कहा- अगर आप लड़ते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करेंगे, खासकर जब आपके पास परमाणु हथियार हैं। और फिर वे रुक गए।'
ट्रंप ने यह दावा मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षविराम के संदर्भ में किया, जो जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था। इसमें 26  लोग मारे गए थे। भारत ने इसके जवाब में 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणालियों ने सभी हमलों को नाकाम कर दिया। बाद में दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच सीधी बातचीत के बाद संघर्षविराम हुआ।

भारत ने बार-बार साफ़ किया है कि इस संघर्षविराम में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, 'भारत और पाकिस्तान के बीच कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था। यह द्विपक्षीय मामला था।' 

भारत द्वारा बार-बार खारिज किए जाने के बावजूद ट्रंप ने मई से अब तक 35 से अधिक बार दावा किया है कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध को रोका।

भारत और चीन पर यूक्रेन युद्ध का आरोप

ट्रंप ने अपने भाषण में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और भारत व चीन को इस युद्ध का 'मुख्य फंड देने वाला' बताया। उन्होंने कहा, 'चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे हैं।' उन्होंने नाटो देशों की भी आलोचना की, जो रूस से ऊर्जा खरीद रहे हैं और कहा कि यह शर्मनाक है। ट्रंप ने दावा किया कि अगर नाटो देश रूस से तेल खरीदना बंद करें, तो वह रूस पर भारी टैरिफ लगाएंगे, जिससे युद्ध रुक सकता है।

ट्रंप ने यह भी कहा कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से निराश हैं, क्योंकि वह इस युद्ध को रोकने में नाकाम रहे। उन्होंने दावा किया कि अगर वह 2022 में राष्ट्रपति होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता। ट्रंप ने अपने और पुतिन के बीच अच्छे रिश्तों का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने सोचा था कि यह युद्ध सबसे आसान होगा, लेकिन हम इसे किसी न किसी तरह खत्म करेंगे।'
हालाँकि, ट्रंप के इस बयान पर भारत ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे पहले, 5 सितंबर 2025 को ट्रंप ने भारत को चीन और रूस के साथ जोड़ते हुए कहा था कि अमेरिका ने भारत को 'गँवा दिया' है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था और पीएम की शी जिनपिंग और पुतिन के साथ तस्वीरें आई थीं। विदेश मंत्रालय ने इन टिप्पणियों को गलत धारणा करार दिया था।

ट्रंप का नोबेल पुरस्कार का दावा

ट्रंप ने अपने भाषण में सात युद्धों को खत्म करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, 'लोग कहते हैं कि मुझे प्रत्येक युद्ध के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए, लेकिन मेरे लिए असली पुरस्कार उन लाखों लोगों की जिंदगी बचाना है, जो अब अंतहीन युद्धों में नहीं मर रहे।' 

संयुक्त राष्ट्र पर निशाना

ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाए और कहा कि इन युद्धों को ख़त्म करने में यूएन की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, 'मुझे यूएन से केवल एक खराब एस्केलेटर और टूटा हुआ टेलीप्रॉम्प्टर मिला।' उन्होंने यूएन मुख्यालय की स्थिति पर भी तंज कसा और कहा कि वह इसे नवीनीकरण के लिए तैयार थे, लेकिन उनकी पेशकश ठुकरा दी गई।

बहरहाल, ट्रंप का यूएनजीए में दिया गया भाषण उनकी विदेश नीति और वैश्विक छवि को मजबूत करने का प्रयास था, लेकिन भारत-पाकिस्तान युद्ध समाप्ति का उनका दावा भारत की आधिकारिक स्थिति से मेल नहीं खाता। भारत और चीन को यूक्रेन युद्ध का फंडर बताने वाले बयान ने भी दोनों देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों पर सवाल उठाए हैं।