बिहार विधानसभा चुनाव से पहले फिर 'जंगलराज' का जिन्न जाग उठा है। इस बार बीजेपी ने नहीं, बल्कि आरजेडी और कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया है। दरअसल, मगध अस्पताल के मालिक गोपाल खेमका की पटना में सनसनीखेज हत्या और सीवान में तलवारबाजी से तीन लोगों की निर्मम हत्या ने 'जंगलराज' की बहस को फिर से हवा दे दी है। आरजेडी नेता तेजस्वी ने बीजेपी और एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि अब इसे कोई 'जंगलराज' नहीं कहेगा। कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया और कहा कि यह 'कुशासन राज' है। अब चुनावी मौसम में इन वारदातों ने नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। तो क्या ये खूनी घटनाएँ बिहार के सियासी समीकरण बदल देंगी?
आरजेडी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर क्या कहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर ताज़ा घटनाएँ क्या हुई हैं। शुक्रवार देर रात पटना के गांधी मैदान थाना क्षेत्र में मशहूर उद्योगपति और मगध अस्पताल के मालिक गोपाल खेमका की उनके अपार्टमेंट के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई। सीसीटीवी फुटेज में एक अकेला शूटर दिखाई दे रहा है, जो खेमका की कार के रुकते ही तेजी से गोली मारकर स्कूटी से फरार हो गया। यह घटना पुलिस मुख्यालय और डीएम आवास से महज 300-500 मीटर की दूरी पर हुई। इससे इस घटना ने बिहार की राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
गोपाल खेमका कोई साधारण व्यक्ति नहीं थे। वह न केवल एक सफल व्यवसायी थे, बल्कि समाजसेवी और एक समय भाजपा से जुड़े हुए नेता भी थे। उनकी हत्या से पहले 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की भी वैशाली में गोली मारकर हत्या हुई थी, जो अब तक अनसुलझी है। इस दोहरे हत्याकांड ने खेमका परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी को और गहरा कर दिया है। पुलिस ने इस हत्या के पीछे पुरानी रंजिश की आशंका जताई है, लेकिन जांच अभी प्रारंभिक चरण में है।
पटना पुलिस ने मामले की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल यानी एसआईटी का गठन किया है, जिसका नेतृत्व पटना सेंट्रल एसपी कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज और मौके से बरामद एक खोखा और कारतूस के आधार पर पुलिस ने सुराग मिलने का दावा किया है।
सीवान में तिहरा हत्याकांड
गोपाल खेमका की हत्या से कुछ घंटे पहले ही सीवान के भगवानपुर थाना क्षेत्र के कौड़िया गांव में शुक्रवार शाम एक खूनी संघर्ष में तीन लोगों- मुन्ना सिंह, रोहित सिंह और कन्हैया सिंह- की तलवार और गोली मारकर हत्या कर दी गई। दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हैं। इस घटना का कारण एक स्थानीय विवाद बताया जा रहा है, जिसमें शराब तस्करी को लेकर तनाव था। एक रिपोर्ट के अनुसार घायल रोशन कुमार के दादा ने बताया कि शत्रुघ्न नाम के व्यक्ति ने पहले गाड़ी से धक्का मारा, जिसके बाद हमलावरों ने तलवारों और हथियारों से हमला किया।
सीवान पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की। हालाँकि, ग्रामीणों का ग़ुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने एक आरोपी के घर को आग के हवाले कर दिया। यह घटना बिहार में बढ़ती हिंसा और स्थानीय स्तर पर कानून-व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करती है।
विपक्ष का हमला: 'जंगलराज' का नैरेटिव
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इन दो हाई-प्रोफ़ाइल हत्याकांडों और बढ़ते अपराध के मामलों ने विपक्ष को नीतीश सरकार पर हमला करने का मौक़ा दे दिया है। आरजेडी नेता और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इन घटनाओं को 'जंगलराज' का प्रतीक बताते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'थाना से चंद कदम दूर पटना में बिहार के बड़े व्यापारी की गोली मारकर हत्या! हर महीने बिहार में सैकड़ों व्यापारियों की हत्या हो रही है, लेकिन जंगलराज नहीं कह सकते? क्योंकि इसे ही शास्त्रों में मीडिया प्रबंधन, परसेप्शन मैनेजमेंट और छवि प्रबंधन कहते हैं।'
तेजस्वी ने हाल में कई बार अपराध के आँकड़े पेश करते हुए सरकार पर हमला किया है। तेजस्वी की रणनीति साफ़ है कि 'जंगलराज' का जो पुराना दाग कभी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल पर लगाया जाता था, अब उसे नीतीश सरकार पर उलटने की कोशिश है। तेजस्वी ने सहरसा में हाल ही में हुई पेट्रोल पंप लूट जैसी अन्य घटनाओं का भी जिक्र किया, ताकि अपराध को एक व्यापक मुद्दा बनाया जा सके।
बिहार सरकार के सीने पर सीधा हमला: कांग्रेस
कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरा। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा, 'ये गोपाल खेमका की हत्या नहीं, बल्कि बिहार सरकार के सीने पर सीधा हमला है।' उन्होंने बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने और राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की। अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा है, 'एक समय था- जब पूरा बिहार शांति, सद्भाव, ज्ञान और तप की स्थली के रूप में जाना जाता था, लेकिन यहां आज गुंडों की गोलियां आग उगल रही हैं। एक तरफ- ADG लॉ एंड ऑर्डर कहते हैं कि पुलिस पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं। दूसरी तरफ- पटना में तेजस्वी यादव जी के आवास के पास अपराधी गोलियां चलाते हैं, जो आजतक पकड़ से बाहर हैं।'
उन्होंने दावा किया कि आज नाबालिग बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार हो रहा है, पुलिस वालों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है और अकेले पटना में इस साल में 116 हत्या, 41 बलात्कार की घटनाएँ हुई हैं।
कांग्रेस के दावे
- बीते साल पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आंकड़े में कहा गया कि 151 दिनों में पुलिस पर 1,297 बार हमले हुए हैं।
- NCRB के अनुसार- जहां 2005 में बिहार में कुल अपराध की संख्या 1,60,664 थी, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 3,47,835 हो गई। हत्याओं के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का नंबर आता है।
- NDA के शासन में 17 साल में 53,000 हजार से ज्यादा हत्या के मामले दर्ज किये गए, हत्या के प्रयास के मामले में भी बिहार देश में दूसरे नंबर पर है और कुल 98,169 घटनाएं दर्ज हुईं, जो 262% की वृद्धि है।
- बिहार में जघन्य अपराध (हत्या, रेप, अपहरण, फिरौती, डकैती) के मामलों में भी 226% की वृद्धि हुई है। 17 साल में 5,59,413 मामले दर्ज हुए हैं।
- बिहार में 2,21,729 महिलाएं अपराध का शिकार बनीं और महिला अपराध के मामलों में 336% की वृद्धि हुई है।
- महिलाओं के अपहरण मामलों में 1097% और बच्चों के खिलाफ अपराध में 7062% की भयावह वृद्धि हुई है।
- दलित अपराध के मामले में बिहार, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर हैं।
सत्ताधारी दलों का जवाब
सत्ताधारी जदयू और भाजपा ने विपक्ष के हमलों को सियासी बताते हुए खारिज किया है। बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा, 'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं मामले का संज्ञान ले रहे हैं। जिन लोगों ने त्वरित कार्रवाई नहीं की, उनकी भी जवाबदेही तय होगी।' उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने जोर देकर कहा कि 'किसी भी अपराधी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह पाताल में क्यों न छिपा हो।' हालाँकि, सत्ताधारी दलों के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है। नीतीश कुमार की छवि 'सुशासन बाबू' की रही है, लेकिन हाल की घटनाएँ इस छवि को धक्का पहुंचा रही हैं। खासकर तब, जब गोपाल खेमका जैसे प्रमुख व्यक्ति की हत्या पुलिस मुख्यालय के इतने करीब हो रही है।
क्या 'जंगलराज' बनेगा चुनाव में बड़ा मुद्दा?
बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव नजदीक है और अपराध का मुद्दा पहले से ही सियासी बहस का केंद्र रहा है। गोपाल खेमका की हत्या और सीवान में तिहरे हत्याकांड ने विपक्ष को एक मजबूत हथियार दे दिया है। तेजस्वी यादव की रणनीति व्यापारी समुदाय और मध्यम वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने की है, जो इन हत्याओं से डरे हुए हैं। तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने 'जंगलराज' का पुराना दाग नीतीश सरकार पर थोपने की कोशिश की है, जबकि सत्ताधारी दल इसे सियासी हमला बता रहे हैं। फिलहाल, बिहार की सियासत में 'जंगलराज' का शोर तेज हो गया है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा मतदाताओं के मन को कितना प्रभावित करता है।