Nitish Kumar Bihar Free Bijli: अभी हाल तक मुफ्त बिजली के केजरीवाल मॉडल के घोर विरोधी नीतीश कुमार ने 125 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की है। यह शख्स 2015 से लगातार सीएम है लेकिन अभी तक याद नहीं आया था। जानिए फ्रीबीज़ विरोधी बीजेपी का स्टैंडः
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही सत्तारूढ़ जेडीयू-बीजेपी गठबंधन ने मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त योजनाओं की झड़ी लगा दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार 17 जुलाई को एक्स पर ऐलान किया कि 1 अगस्त, 2025 से राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी। इस योजना से राज्य के 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को लाभ मिलने का दावा किया गया है।
नीतीश कुमार ने एक्स पर कहा, "हमलोग शुरू से ही सस्ती दरों पर सभी को बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। अब हमने तय कर दिया है कि 1 अगस्त, 2025 से यानी जुलाई माह के बिल से ही राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक बिजली का कोई पैसा नहीं देना पड़ेगा।" उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में सभी घरेलू उपभोक्ताओं के घरों की छतों या नजदीकी सार्वजनिक स्थानों पर सोलर प्लांट स्थापित किए जाएंगे। कुटीर ज्योति योजना के तहत अत्यंत गरीब परिवारों के लिए सोलर प्लांट का पूरा खर्च सरकार उठाएगी, जबकि अन्य परिवारों को भी उचित मदद दी जाएगी। इस पहल से अगले तीन वर्षों में 10 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
एक दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री कुमार ने शिक्षा विभाग को सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों का शीघ्र आकलन करने और शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई) 4 के आयोजन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया था। हाल ही में उन्होंने महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण की घोषणा करते हुए बाहर की महिलाओं को इस आरक्षण का लाभ लेने पर रोक लगा दी थी।
केजरीवाल मॉडल का विरोध
30 नवंबर 2022 को मुफ्त बिजली देने के मुद्दे पर दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि कुछ लोग उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली देने की वकालत करते रहते हैं, लेकिन ऐसे लोगों के पास करने के लिए कोई और काम नहीं है, इसलिए वे ऐसी बातें करते रहते हैं।
किसी राज्य का नाम लिए बिना नीतीश ने यह भी कहा, "कुछ जगहों पर तो बहुत ही गलत काम किया गया है।"
मतदाता सूची में हेराफेरी का आरोप और मुफ्त बिजली का ऐलान
हालांकि, यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब बिहार सरकार मतदाता सूची संशोधन में कथित हेराफेरी के आरोपों से जूझ रही है। हालांकि मतदाता सूची में बदलाव की प्रक्रिया चुनाव आयोग चला रहा है। लेकिन विपक्षी दलों, खासकर राजद और कांग्रेस, ने आरोप लगाया है कि सत्तारूढ़ जेडीयी और बीजेपी के इशारे पर चुनाव आयोग इस काम को अंजाम दे रहा है। चुनाव से पहले मतदाता सूची में फर्जीवाड़ा कर सत्तारुढ़ सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है। इन आरोपों ने नीतीश सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है, और मुफ्त बिजली की घोषणा को विपक्ष ने "चुनावी जुमला" करार दिया है।
अब मुफ्त बिजली की याद क्यों
राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, "नीतीश जी को 18 साल बाद मुफ्त बिजली की याद आई, जब चुनाव सिर पर है। यह जनता को बरगलाने की कोशिश है।" वहीं, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मुफ्त योजनाओं के बावजूद गठबंधन का लक्ष्य केवल विकास के मुद्दे पर वोट मांगना है, लेकिन नीतीश कुमार की यह घोषणा केंद्र सरकार के "मुफ्त रेवड़ी" विरोधी रुख से मेल नहीं खाती।
बीजेपी और पीएम मोदी का मुफ्त रेवड़ियों पर स्टैंड
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 जुलाई 2022 को वोट के लिए मुफ्त चीज़ें बाँटने की संस्कृति के खिलाफ आगाह किया था। उत्तर प्रदेश के जालौन में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, मोदी ने कहा था कि "रेवड़ी संस्कृति" नए भारत को अंधकार की ओर ले जाएगी। बता दें कि बीजेपी बिहार की सरकार में शामिल है। उसने नीतीश कुमार के फैसले का स्वागत किया है।
फिर जुलाई 2023 में पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के शहडोल में कहा था- "जब वे मुफ्त बिजली की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि वे बिजली को और महंगा करने की तैयारी कर रहे हैं। मुफ्त यात्रा की गारंटी का मतलब है कि उस राज्य में परिवहन सेवाओं का भविष्य में विनाश होगा। पेंशन बढ़ाने की गारंटी का मतलब है कि उस राज्य में सरकारी कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिलेगा। सस्ते पेट्रोल की गारंटी का मतलब है कि वे करों में बढ़ोतरी करके आपकी जेब से पैसा निकालने की तैयारी कर रहे हैं और रोजगार में वृद्धि की गारंटी का मतलब है कि वे ऐसी नीतियां लेकर आएंगे जो भविष्य में उद्योगों और व्यवसायों को बर्बाद कर देंगी।" अब पाठक खुद तय कर सकते हैं कि ऐसी नीतियों का विरोध करने वाली बीजेपी आज खुद कहां खड़ी है।
चुनावी माहौल में मुफ्त बिजली और सौर ऊर्जा की इस योजना को जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों और विपक्ष के तीखे हमलों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घोषणा कितनी असरदार साबित होती है।