बिहार सरकार 70 हजार करोड़ से ज्यादा सरकारी खर्चों का हिसाब नहीं दे पा रही है। CAG  की ताजा रिपोर्ट में बिहार सरकार की जमकर खिंचाई की गई है और इसी बात से भारी बवाल मचा हुआ है ।
CAG यानी Comptroller and Auditor General  (भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक) । CAG एक तरह का सरकारी “हिसाब-किताब देखने वाला विभाग” है। इसका काम ये होता है कि सरकार ने जो पैसा खर्च किया, वो सही तरीके से किया या नहीं । CAG रिपोर्ट में ये देखा जाता है कि पैसा कहाँ खर्च हुआ? जो योजना बनाई थी, वो पूरी हुई या नहीं? खर्च का रिकॉर्ड सही है या नहीं? कहीं गड़बड़ी या घोटाला तो नहीं हुआ? फिर ये रिपोर्ट संसद या विधानसभा में रखी जाती है ताकि जनता और नेता जान सकें कि सरकार ने क्या किया।
गुरुवार को बिहार विधानसभा में CAG की रिपोर्ट रखी गई। जिसमें ये दावा किया गया है कि जो पैसे बिहार के विकास, स्कूलों, सड़कों, और गांवों के लिए बिहार सरकार को दिए गए थे । उस 70 हजार करोड़ से ज्यादा की रकम का बिहार सरकार को कोई अता-पता नहीं है कि वो कहां गए, कैसे खर्च हुए ।'UCs' यानी उपयोग प्रमाणपत्र असल में एक तरह की रसीद होती है, जिससे पता चलता है कि पैसा कहाँ और कैसे खर्च हुआ। लेकिन बिहार में लगभग पचास हजार  ऐसी रसीदें अभी तक नहीं दी गई हैं। मतलब ये कि इतने सारे प्रोजेक्ट्स का कोई पक्का हिसाब ही नहीं है। पैसा तो खर्च हो गया, लेकिन सरकार ने नहीं बताया कि खर्च कैसे और कहाँ हुआ।
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CAG ने साफ कहा है कि जब तक ये रसीदें नहीं मिलेंगी, तब तक ये पक्का नहीं कहा जा सकता कि पैसा सही जगह खर्च हुआ या नहीं। सबसे बड़ी बात ये है कि इससे गड़बड़ी, गबन और पैसा इधर-उधर करने का खतरा बहुत बढ़ जाता है। सोचिए, 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा पैसा ! इसमें से लगभग 15 हजार करोड़ तो 2016-17 से भी पहले के हैं। यानी इतने सालों से हिसाब अटका पड़ा है।
अब सवाल ये है कि कौन-कौन सा विभाग इसमें शामिल हैं? पंचायती राज, शिक्षा, शहरी विकास, ग्रामीण विकास और कृषि विभाग। सबसे ज्यादा गड़बड़ी पंचायती राज में है – यहां 28 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कोई हिसाब नहीं है। इसके बाद शिक्षा विभाग है, जहां लगभग 13 हजार करोड़ का पता नहीं कि पैसा कहां गया। ये सब वो विभाग हैं जिनका काम गांव, स्कूल और खेती से जुड़ा है।
नीतीश सरकार ने मार्च 2020 में 644 करोड़ रुपये बिना बजट बनाए ही खर्च कर दिए, AC बिल्स के ज़रिए। मतलब जैसे घर में कोई प्लानिंग किए बिना ही ढेर सारा पैसा उड़ा दिया, फिर बाद में बोला — 'अरे, हिसाब तो भूल गए!' ये छोटी-मोटी चूक नहीं है, ये सीधी-सीधी लापरवाही है। और ये पहली बार नहीं हुआ। CAG की 2022-23 की रिपोर्ट में भी बताया गया था कि कई हजार करोड़ के AC बिल्स अब तक बाकी हैं। यानी सालों से ऐसा ही चल रहा है, और कोई सुधार होता दिख नहीं रहा।
तो साफ है कि बिहार में पैसों को लेकर काफी गड़बड़ियां हैं। सरकार बजट तो बना रही है, लेकिन उसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पा रही। ऊपर से, जो पैसा बचता है, उसका भी सही हिसाब नहीं दिया जा रहा। वहीं कर्ज बढ़ता जा रहा है, लेकिन वो पैसा कहां और कैसे लग रहा है, इसका भी कोई साफ जवाब नहीं है। कुछ जगहों पर ऐसे खर्च भी दिख रहे हैं, जिनकी शायद ज़रूरत ही नहीं थी। कुल मिलाकर, साफ दिखता है कि फाइनेंस को लेकर न तो प्लानिंग मजबूत है और न ही निगरानी।
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अब इस CAG रिपोर्ट ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर भी लोग खुलकर गुस्सा निकाल रहे हैं।  विधानसभा में भी इस पर जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने सरकार से सीधे सवाल किए – इतना पैसा गया कहां? घपला हुआ? गबन हुआ? या यूं ही हवा में उड़ गया? सबसे बड़ा सवाल – सरकार अब क्या करेगी? एक तरफ लाखों करोड़ का हिसाब अटका हुआ है, दूसरी तरफ कर्ज बढ़ता जा रहा है, और विकास की रफ्तार थमी हुई लगती है। CAG ने साफ कहा है कि सरकार को वक्त पर रसीदें जमा करनी चाहिए, बजट पर कंट्रोल मजबूत करना चाहिए और पूरे सिस्टम को दुरुस्त करना चाहिए। लेकिन असली सवाल यही है – क्या सरकार पैसा सही जगह लगा रही है?