पठान फिल्म बॉलीवुड में रोजाना नए रेकॉर्ड बना रही है। नई-नई संभावनाएं पैदा हो रही हैं। हालांकि कट्टरपंथी ताकतों को करारा जवाब मिल चुका है लेकिन इसके बावजूद यह तबका रोजाना कुछ न कुछ खुराफात में लगा हुआ है।
पठान इस साल की पहली जबरदस्त हिट फिल्म बनती दिख रही है। 2022 हिंदी फिल्मों के लिए बहुत बुरा गया। अक्षय कुमार, आमिर खान और रनबीर कपूर की फिल्मों ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘लाल सिंह चड्ढा’ और ‘शमशेरा’ की बॉक्स ऑफ़िस नाकामी को इनके बहिष्कार की मुहिम से जोड़ कर देखा गया। नये साल यानी 2023 की शुरुआत में ही सिनेमाहॉल में दर्शकों की भीड़ की वापसी हिंदी फिल्म उद्योग के लिए ख़ुशी और राहत की ख़बर लेकर आई है। पठान के जरिये बड़े परदे पर शाहरुख खान की धमाकेदार वापसी हिंदी सिनेमा में उनका रुतबा और दबदबा क़ायम रहने का भी सबूत है। पिछली कुछ फिल्मों की नाकामी के बाद उनके बारे में नकारात्मक चर्चाओं का सिलसिला काफी तेज़ रहा। उनके बेटे आर्यन का नाम ड्रग्स के मामले में आने के बाद काफी छींटाकशी हुई, उन पर उँगलियाँ उठीं, आर्यन जेल गये और बाद में अदालत से बेदाग़ भी छूटे। शाहरुख ने सारे मामले के दौरान मुँह बंद रखा। मुँह खोला तो कोलकाता फिल्म महोत्सव में पठान का संवाद बोलकर।
शाहरुख ने इस फिल्म के जरिये उन तमाम लोगों को भी जवाब दे दिया है जो उनके एक पुराने बयान के राजनीतिक निहितार्थ की वजह से उनकी देशभक्ति पर सवाल उठा रहे थे। शाहरुख खान बहुत बुद्धिमान व्यक्ति हैं और फिल्मी दायरे के बाहर उनकी अभिव्यक्तियां बहुत सधी हुई होती हैं। उन्होंने जिस तरह मौजूदा निजाम के सामने किसी तरह का प्रत्यक्ष समर्पण किये बगैर अपने आपको देश का एक बेहद लोकप्रिय फिल्म अभिनेता साबित किया है, उससे उनके प्रशंसक बढ़े ही हैं।
पठान फिल्म का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह भी है कि यह ठेठ मसाला हिंदी सिनेमा की कहानी के खाँचे में राष्ट्रवादी मुस्लिम नायक की वापसी है। पिछले कुछ समय से कई हिंदी फिल्मों में मुस्लिम किरदारों का एक ख़ास तरह का चित्रण विवाद का विषय बनने लगा था। पठान का नायक देश की आन-बान-शान के लिए जान की बाज़ी लगा देने वाला एक किरदार दिखाया गया है । जय हिंद का नारा लगाता है। खलनायक भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का पूर्व सदस्य है जो अपने निजी बदले की आग में झुलसते देशद्रोही हो चुका है। नायिका पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई की सदस्य है लेकिन अपने देश के एक फ़ौजी जनरल की साज़िश के खिलाफ हीरो पठान का साथ देती है।
पठान की कहानी उतनी ही तार्किक या अतार्किक कही जा सकती है जितनी जेम्स बॉँड की किसी फिल्म की कहानी होती है। जो लोग डैनियल क्रेग की जेम्स बॉंड वाली फिल्में और टॉम क्रूज़ की ‘मिशन इम्पॉसिबल’ जैसी एक्शन फिल्में लगातार देखते रहे हों उन्हें पठान की कहानी और उसके एक्शन दृश्यों में हॉलीवुड की शैली से बहुत समानता दिखेगी। डिंपल कपाडिया का किरदार जेम्स बॉंड की बॉस एम से विख्यात हुई जूडी डेंच की याद दिलाता है। अफ़्रीका, फ़्रांस, स्पेन, रूस तमाम देशों में शूटिंग हुई है। तकनीकी तामझाम को छोड दिया जाए तो पठान एक तेज़ रफ्तार औसत मसाला फिल्म है। लेकिन पैसा वसूल मनोरंजन की चाहत में बड़े परदे का रुख़ करने वाले आम दर्शक को ढाई तीन घंटे का धाँसू मसाला ही तो चाहिए जो यह फिल्म देती है।
यशराज बैनर की इस फिल्म में यश चोपड़ा की फिल्मों के पुराने नायक अमिताभ बच्चन की फिल्मों ‘लावारिस’, ‘खुदा गवाह’ का जिक्र एक संवाद में आता है उनके नाम के बगैर। शाहरुख का संवाद है- ‘मर्द को दर्द नहीं होता’। पठान की कामयाबी के बाद मौजूदा चलन के मुताबिक अगर निकट भविष्य में उसके किसी सीक्वेल का भी ऐलान हो जाए तो ताज्जुब नहीं होगा।