गोवा के मंत्री (बैठे हुए) डॉक्टर को निलंबित करते हुए।
गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजित राणे एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। शनिवार को गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में उनकी एक वरिष्ठ डॉक्टर के साथ तीखी बहस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। राणे ने जीएमसीएच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर को तत्काल निलंबित करने का आदेश दिया था, लेकिन रविवार को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस फैसले को पलटते हुए डॉक्टर के निलंबन को रद्द कर दिया। इस घटना ने गोवा की सियासत में हलचल मचा दी है।
शनिवार को स्वास्थ्य मंत्री राणे ने जीएमसीएच के बांबोलिम कैंपस में अचानक दौरा किया। इस दौरान उन्हें एक शिकायत मिली कि एक मरीज को इलाज से इनकार किया गया और डॉ. कुट्टीकर ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया। शिकायत एक वरिष्ठ पत्रकार की थी, जिन्होंने दावा किया कि उनकी सास को छुट्टी के दिन कैजुअल्टी वार्ड में इंजेक्शन देने से मना कर दिया गया।
वायरल वीडियो में राणे डॉ. कुट्टीकर पर भड़कते नजर आए। उन्होंने कहा, "अपनी जेब से हाथ निकालो, मेरे सामने खड़े होने का तरीका सीखो। तुम डॉक्टर हो, मरीजों की सेवा करो। मैं तुम्हें तुरंत निलंबित कर रहा हूँ।" राणे ने डॉक्टर को चुप रहने और तुरंत वहां से जाने का आदेश दिया। इस घटना की कड़ी आलोचना हुई, और विपक्षी कांग्रेस ने इसे "अहंकारी और अनुचित" करार दिया।
विवाद बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रविवार को दखल दिया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "मैंने जीएमसीएच के मामले की समीक्षा की और स्वास्थ्य मंत्री से चर्चा की। मैं गोवा की जनता को आश्वस्त करता हूँ कि डॉ. रुद्रेश कुट्टीकर को निलंबित नहीं किया जाएगा।" सावंत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार और चिकित्सा टीम उच्च स्वास्थ्य मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
विश्वजित राणे ने अपनी कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने एक बुजुर्ग मरीज के हित में कदम उठाया, जिसे इलाज से वंचित किया गया था। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "मैं अपने रुख के लिए माफी नहीं मांगूंगा, क्योंकि मैंने एक असहाय मरीज के लिए आवाज उठाई। हालांकि, मेरे लहजे और शब्दों को और संयमित किया जा सकता था।" राणे ने वादा किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जाएगा।
कांग्रेस ने राणे के व्यवहार को "शर्मनाक" और "सत्ता का दुरुपयोग" बताया। गोवा कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, "यह पहली घटना नहीं है। राणे का डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य कर्मियों को अपमानित करने का पैटर्न है। मुख्यमंत्री को उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल से हटाना चाहिए।"
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के गोवा चैप्टर ने भी राणे के व्यवहार की निंदा की। आईएमए ने बयान जारी कर कहा, "यह अनुचित और अस्वीकार्य है। किसी भी शिकायत को निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। डॉक्टर को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना चिकित्सा समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।"
सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूल पकड़ा। कई यूजर्स ने राणे की "अहंकारी" शैली की आलोचना की, जबकि कुछ ने उनके मरीज के पक्ष में खड़े होने के फैसले का समर्थन किया। एक यूजर ने लिखा, "डॉक्टर को बिना सुनवाई के निलंबित करना गलत है। यह सत्ता का दुरुपयोग है।" वहीं, कुछ ने राणे के फौरन हस्तक्षेप की सराहना की।
इस घटना ने गोवा सरकार के भीतर मतभेदों को उजागर कर दिया है। जहां मुख्यमंत्री को अपने ही स्वास्थ्य मंत्री के फैसले को पलटना पड़ा। यह मामला न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की जवाबदेही पर सवाल उठाता है, बल्कि राजनीतिक नेतृत्व और चिकित्सा समुदाय के बीच तनाव को भी दर्शाता है। जनता और चिकित्सा समुदाय अब इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं ताकि सच सामने आ सके।