CBI Anil Ambani Company Bank Fraud: सीबीआई ने अनिल अंबानी और रिलायंस कम्युनिकेशंस पर 2000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी मामले में छापे मारे हैं। केस भी दर्ज किया। कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। ईडी पहले ही केस दर्ज कर चुकी है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शनिवार को रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरसीओएम) और इसके प्रमोटर-डायरेक्टर अनिल अंबानी से जुड़े परिसरों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को 2000 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान से जुड़े कथित बैंक धोखाधड़ी के मामले में की गई है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की है।
सीबीआई की टीमें सुबह अनिल अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास और आरसीओएम से जुड़े अन्य परिसरों पर पहुंचीं। यह छापेमारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर की गई, जिसमें बैंक ने आरोप लगाया है कि अनिल की कंपनी लोन डिफॉल्टर है। इस वजह से 2,227.64 करोड़ रुपये के बकाया मूलधन और 26 अगस्त 2016 से अब तक ब्याज और खर्चों के साथ-साथ 786.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी का नुकसान हुआ।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पिछले महीने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि 13 जून 2025 को आरकॉम और अनिल अंबानी को आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की नीति के अनुसार "धोखाधड़ी" के रूप में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा, "24 जून 2025 को, बैंक ने आरबीआई को धोखाधड़ी दर्ज किए जाने की सूचना दी और सीबीआई के साथ शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में है।"
इसके अलावा, आरकॉम वर्तमान में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी के मामलों का सामना कर रहा है। यह कंपनी 2016 के नियमों के तहत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजॉल्यूशन प्रक्रिया (सीआईआरपी) से गुजर रही है। कंपनी का रिजॉल्यूशन प्लान, जिसे क्रेडिटर्स की कमेटी ने मंजूरी दी है, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), मुंबई में सिफारिश के लिए लंबित है। एसबीआई ने अनिल अंबानी के खिलाफ व्यक्तिगत इन्सॉल्वेंसी कार्यवाही भी शुरू की है, जो एनसीएलटी, मुंबई में सुनी जा रही है।
यह पहली बार नहीं है जब आरकॉम और अनिल अंबानी को "धोखाधड़ी" के रूप में दर्ज किया गया है। एसबीआई ने नवंबर 2020 में भी ऐसा ही कदम उठाया था और जनवरी 2021 में सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के 6 जनवरी 2021 के "यथास्थिति" आदेश के कारण यह मामला रुक गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के 27 मार्च 2023 के फैसले में यह अनिवार्य किया गया कि उधारकर्ताओं को धोखाधड़ी के रूप में दर्ज करने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया जाए। इसके बाद, एसबीआई ने सितंबर 2023 में धोखाधड़ी मामले को वापस लिया, लेकिन 15 जुलाई 2024 के आरबीआई सर्कुलर के अनुसार प्रक्रिया को फिर से शुरू किया और जून 2025 में खातों को फिर से धोखाधड़ी के रूप में दर्ज किया गया।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सक्रिय है। ईडी ने अगस्त 2025 की शुरुआत में अनिल अंबानी से 17,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की थी। ईडी ने 35 से अधिक परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसमें 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों को शामिल किया गया था। जांच में येस बैंक से 3,000 करोड़ रुपये के लोन के कथित दुरुपयोग और फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे के ट्रांसफर की बात सामने आई है।
इसी तरह अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों पर पहले भी सेबी और अन्य नियामक संस्थाओं द्वारा कार्रवाई की गई है। सेबी ने अगस्त 2024 में रिलायंस होम फाइनेंस (आरएचएफएल) के मामले में अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था और उन्हें पांच साल के लिए इक्विटी मार्केट से प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सार्वजनिक निवेशकों और शेयरधारकों के साथ धोखाधड़ी की थी।