एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि बिहार में चल रही विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया में आधार और राशन कार्ड जैसे व्यापक रूप से उपलब्ध दस्तावेजों को स्वीकार न करने का चुनाव आयोग (ECI) का फैसला "बेतुका" और "मनमाना" है। ADR ने कहा कि यह प्रक्रिया लाखों वोटरों, विशेष रूप से गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों, जैसे मुसलमानों, दलितों और प्रवासी मजदूरों, के मताधिकार को छीन सकती है।

आधार और राशन कार्ड को नामंजूर करने पर सवाल 

ADR ने अपनी याचिका में कहा कि ECI ने आधार और राशन कार्ड को स्वीकार न करने का कोई ठोस कारण नहीं दिया है, जबकि ये दस्तावेज बिहार में सबसे आम पहचान पत्र हैं। याचिका में तर्क दिया गया कि आधार, जिसे स्थायी निवास प्रमाणपत्र, OBC/SC/ST प्रमाणपत्र और पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए स्वीकार किया जाता है, को SIR में शामिल न करना "निराधार" है। 
  • ADR ने यह भी बताया कि ECI द्वारा स्वीकृत 11 दस्तावेज, जैसे पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र और मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट, भी जाली दस्तावेजों के आधार पर बनाए जा सकते हैं। फिर आधार को क्यों खारिज किया गया?

SIR की प्रक्रिया पर आपत्ति 

ADR ने आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया में कोई स्पष्ट प्रक्रिया या दिशानिर्देश नहीं हैं। निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) को असीमित और अनियंत्रित अधिकार दिए गए हैं, जिसके कारण वोटरों का नाम हटाने में मनमानी हो सकती है। बिहार जैसे राज्य में, जहां गरीबी, अशिक्षा और कम दस्तावेजीकरण की समस्या है, SIR की सख्त समयसीमा (25 जुलाई तक दस्तावेज जमा करना) लाखों वोटरों को मताधिकार से वंचित कर सकती है। हालांकि ये तारीख कल खत्म हो चुकी है। 
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लाखों वोटरों का नाम हटने का खतरा 

ADR ने चेतावनी दी कि बिहार के करीब 3 crore वोटर, विशेष रूप से वे जो 2003 की सूची में नहीं हैं या जिनके पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं हैं, मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं। बिहार में केवल 2.5% लोगों के पास पासपोर्ट और 14% के पास मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट हैं। ऐसे में SIR की प्रक्रिया गरीबों और कमजोर वर्गों के लिए "खतरनाक" साबित हो सकती है।
ADR ने सुप्रीम कोर्ट से ECI के 24 जून के आदेश को रदद करने की मांग की है, ताकि वोटरों के अधिकार की रक्षा हो सके। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अहम होगा।

ECI का तर्क और जवाब 

चुनाव आयोग ने 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि आधार केवल पहचान का प्रमाण है, न कि नागरिकता का। ECI ने यह भी दावा किया कि राशन कार्ड में व्यापक धोखाधड़ी के कारण इसे स्वीकार नहीं किया गया। आयोग ने केंद्र सरकार के 7 मार्च 2025 के प्रेस रिलीज का हवाला दिया, जिसमें 5 करोड़ फर्जी राशन कार्ड हटाने की बात कही गई थी। हालांकि, ECI ने यह माना कि आधार और राशन कार्ड को पूरक दस्तावेज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इन्हें स्टैंडअलोन प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट की सलाह दरकिनार 

10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया को रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन ECI से आधार, राशन कार्ड और इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) को स्वीकार करने पर विचार करने को कहा। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाल्या बागची की पीठ ने टिप्पणी की कि यह मामला "लोकतंत्र की जड़ों" से जुड़ा है और वोट का अधिकार महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने ECI से पूछा कि आखिर इतने कम समय में यह प्रक्रिया क्यों शुरू की गई, जब बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर 2025 में होने हैं। अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। चुनाव आयोग अदालत के सवालों पर स्पष्ट बात नहीं कर रहा है।

विपक्ष का विरोध और सड़क पर हंगामा 

विपक्षी दलों, जैसे RJD, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस, ने SIR को "वोटर दमन" का हथियार बताया है। RJD सांसद मनोज झा ने अपनी याचिका में कहा कि यह प्रक्रिया "Muslim, Dalit और गरीब प्रवासियों" को निशाना बना रही है। तृणमूल सांसद महुआ मित्रा ने इसे "असंवैधानिक" करार दिया। बिहार में तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि ECI का यह कदम बीजेपी के इशारे पर उठाया गया है। X पर कई यूजर्स ने SIR को "NRC का बैकडोर" और "लोकतंत्र पर हमला" बताया।

ECI के दावे और आंकड़े  

ECI ने दावा किया कि SIR का पहला चरण पूरा हो चुका है। आयोग ने कहा कि लगभग 66 लाख मतदाता मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे। 7.23 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं और उनका डिजिटलीकरण हो चुका है, और उनके सभी नाम 1 अगस्त को मसौदा मतदाता सूची में प्रकाशित किए जाएँगे। गलत तरीके से नाम शामिल किए जाने या बाहर किए जाने का कोई भी दावा 1 सितंबर तक दायर किया जा सकता है। आयोग ने कहा कि 2003 की वोटर सूची में शामिल लोगों को केवल प्री-फिल्ड फॉर्म जमा करना है, जबकि नए वोटरों को 11 दस्तावेजों में से एक के साथ नागरिकता साबित करनी होगी। 2 अगस्त से दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी, और अंतिम सूची 30 सितंबर को प्रकाशित होगी।