सरकार अब लद्दाख में आंदोलन का चेहरा रहे सोनम वांगचुक के पीछे पड़ गई है! सीबीआई ने वांगचुक और उनकी संस्था के ख़िलाफ़ FCRA उल्लंघन की शुरुआती जाँच शुरू की है। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे वांगचुक के ख़िलाफ़ जाँच शुरू करने की प्रक्रिया क़रीब दो महीने पहले ही शुरू कर दी गई थी। इधर, बुधवार को लद्दाख हिंसा के लिए गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के हालिया जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख कर युवाओं को भड़काया।

इसी बीच अब सीबीआई जाँच शुरू किए जाने की रिपोर्ट सामने आई है। सीबीआई ने लद्दाख के प्रसिद्ध क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के खिलाफ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम यानी एफ़सीआरए के कथित उल्लंघन के मामले में प्रारंभिक जांच शुरू की है। यह जांच वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख यानी एचआईएएल और स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख यानी SECMOL से संबंधित है। सीबीआई की यह कार्रवाई गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर शुरू की गई है, जिसमें विदेशी फंडिंग के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
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जांच का आधार

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि जाँच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या एचआईएएल और SECMOL ने एफ़सीआरए नियमों का उल्लंघन करते हुए विदेशी फंड प्राप्त किए। गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया है कि इन संस्थानों ने एफ़सीआरए के तहत आवश्यक मंजूरी के बिना विदेशी योगदान स्वीकार किया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सोनम वांगचुक ने इस मामले में कहा कि सीबीआई की एक टीम लगभग 10 दिन पहले उनके संस्थान में एक आदेश के साथ पहुंची थी, जिसमें गृह मंत्रालय की शिकायत का हवाला दिया गया था।

वांगचुक ने साफ़ किया कि उनकी संस्थाएं विदेशी फंडिंग पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'हम विदेशी फंड पर निर्भर नहीं होना चाहते, बल्कि हम अपनी जानकारी और ज्ञान का निर्यात करते हैं और उससे राजस्व अर्जित करते हैं। तीन मामलों में अधिकारियों ने इसे विदेशी चंदा माना।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई ने 2022 से 2024 तक की फंडिंग से संबंधित दस्तावेजों के अलावा 2020 और 2021 के खातों और अन्य स्कूलों के दस्तावेज भी मांगे, जो शिकायत के दायरे से बाहर हैं।

रिपोर्ट है कि अभी तक इस मामले में कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है और जांच प्रारंभिक चरण में है। वांगचुक ने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने उनसे व्यक्तिगत रूप से पूछताछ नहीं की है, लेकिन उनकी संस्थाओं के दस्तावेजों की जाँच की जा रही है।

लद्दाख में तनावपूर्ण स्थिति

यह जाँच उस समय शुरू हुई है जब लद्दाख में राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं। बुधवार को लेह में इन मांगों को लेकर हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। गृह मंत्रालय ने इन प्रदर्शनों के लिए सोनम वांगचुक के 'भड़काऊ बयानों' को जिम्मेदार ठहराया है। मंत्रालय ने दावा किया कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के हालिया जेन-ज़ेड विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख कर युवाओं को भड़काया।

वांगचुक का जवाब

सोनम वांगचुक ने हिंसा की निंदा की और इसे अपनी मांगों के लिए हानिकारक बताया। हिंसा के बाद उन्होंने 15 दिनों तक चली अपनी भूख हड़ताल को भी ख़त्म कर दिया। वांगचुक ने कहा, 'मैंने हमेशा शांतिपूर्ण विरोध की वकालत की है। हिंसा हमारा रास्ता नहीं है। यह हमारी मांगों को कमजोर करती है।' उन्होंने यह भी कहा कि युवाओं में बढ़ती हताशा और बेरोजगारी इस हिंसा का कारण बनी।
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सोनम वांगचुक का योगदान

सोनम वांगचुक एक प्रसिद्ध क्लाइमेट एक्टिविस्ट और शिक्षाविद् हैं, जिन्हें 2018 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनके द्वारा स्थापित SECMOL स्कूल लद्दाखी छात्रों को मुफ्त शिक्षा देता है और HIAL में छात्रों को उनके प्रोजेक्ट्स के लिए वजीफा दिया जाता है। वांगचुक ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए 'आइस स्टूपा' तकनीक विकसित की, जो सर्दियों में पानी को संग्रहित करने का एक अभिनव तरीका है। उनकी प्रेरणा से बॉलीवुड फिल्म '3 इडियट्स' में आमिर खान का किरदार 'फुनसुख वांगडू' बनाया गया था।

वांगचुक ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ कई अन्य कार्रवाइयाँ भी की जा रही हैं, जिनमें कर समन और जमीन के पट्टे से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

लद्दाख में चल रहे तनाव और सीबीआई की जांच ने सोनम वांगचुक को सुर्खियों में ला दिया है। एक ओर जहाँ वह अपनी संस्थाओं के माध्यम से शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हें सरकारी जांच और हिंसक प्रदर्शनों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।