नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर शिकंजा कसते हुए 661 करोड़ रुपये की संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। दिल्ली, मुंबई और लखनऊ में इन संपत्तियों को ग़लत तरीक़े से पाया हुआ करार देते हुए ईडी ने कार्रवाई की है और इस कार्रवाई ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। जैसा कि कांग्रेस दावा करती है, क्या यह बीजेपी की राजनीतिक बदले की रणनीति है या वाक़ई वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश?
तो, आइए जानते हैं कि आख़िर यह नेशनल हेराल्ड मामला क्या है। नेशनल हेराल्ड अख़बार की स्थापना 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने की थी। यह स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था। इसे असोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड यानी एजेएल द्वारा प्रकाशित किया जाता था। 2008 में वित्तीय संकट के बाद अख़बार बंद हो गया और यहीं से विवाद की शुरुआत हुई। 2010 में यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड वाईआईएल नामक कंपनी बनी। इसमें सोनिया और राहुल गांधी की 38-38% हिस्सेदारी है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में आरोप लगाया कि वाईआईएल ने एजेएल की 2000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को मात्र 50 लाख रुपये में हासिल कर लिया और यह धोखाधड़ी व मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।