कोवैक्सीन को विशेषज्ञों के जिस पैनल ने 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी उसने अब कहा है कि इस 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' टैग को हटाया जा सकता है। इसने ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई से सिफारिश की है और अब वही इस पर आख़िरी फ़ैसला लेगा। 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' टैग हटाने का मतलब होगा कि अब उस वैक्सीन को लगवाने से पहले लोगों को सहमति वाले एक फ़ॉर्म पर दस्तख़त करने की ज़रूरत नहीं होगी।
तो कोवैक्सीन टीका लगवाने से पहले फ़ॉर्म भरना ज़रूरी नहीं होगा!
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- 11 Mar, 2021
कोवैक्सीन को विशेषज्ञों के जिस पैनल ने 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी थी उसने अब कहा है कि इस 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' टैग को हटाया जा सकता है।

सहमति वाले दस्तख़त की ज़रूरत इसलिए थी कि भारत बायोटेक की इस कोवैक्सीन को तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के बिना ही आपात मंजूरी दी गई थी और इसलिए कहा गया था कि इसे क्लिनिकल ट्रायल मोड में ही आपात इस्तेमाल किया जा सकता है। तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े के बिना ही मंजूरी दिए जाने पर काफ़ी विवाद भी हुआ था।