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चीनी राष्ट्रपति के दौरे से पहले भारतीय-चीनी सैनिकों में झड़प क्यों?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अगले महीने भारत की यात्रा से पहले सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प होने की ख़बर है। हालाँकि, बाद में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों ने बातचीत से मामले को सुलझा लिया है। झड़प की यह ख़बर भारतीय सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश में चीनी सेना की घुसपैठ की ख़बरों का खंडन करने के कुछ दिनों बाद आई है। लेकिन, सवाल है कि बार-बार झड़प की ख़बरें क्यों आ रही हैं? ऐसे समय में जब चीन के राष्ट्रपति का दौरा होने वाला है, सीमा पर ऐसी झड़प क्या सामान्य बात है?

भारत-चीन सीमा को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है और समय-समय पर चीन भारतीय सीमा क्षेत्र पर दावा करता रहा है। कई बार चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस भी जाते हैं और झड़पें ही होती रही हैं। जब तब ऐसी ख़बरें आती रही हैं कि चीन सीमा के पास अपनी सैनिक स्थिति मज़बूत कर रहा है। ऐसा ही डोकलाम में भी हुआ था। अब जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 में बदलाव के बाद भारत-चीन के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में चीन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और वह खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का समर्थन करने के अलावा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विरोध भी किया है। यही वह लद्दाख क्षेत्र है जहाँ गुरुवार को दोनों सेनाओं के बीच झड़प की ख़बरें हैं। तो क्या लद्दाख चीन के निशाने पर है?

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मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय सेना के जवान जब पूर्वी लद्दाख में पांगोंग त्सो लेक के पास पेट्रोलिंग कर रहे थे तो चीन के सैनिकों ने उन्हें रोक दिया। चीनी सेना भारतीय सेना की मौजूदगी का विरोध कर रही थी। इसके बाद झड़प हुई। नोकझोंक बढ़ने के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई और मामला शांत हुआ। यह वही क्षेत्र है जहाँ भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान नोक-झोंक हुई थी।

डोकलाम विवाद के दौरान भी था तनाव

डोकलाम गतिरोध भी उसी सीमा विवाद का नतीजा था जिसमें चीन बार-बार अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्से और लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के इस पार के हिस्से पर अपना दावा जताता रहा है। दो साल पहले डोकलाम विवाद के समय चीनी सैनिक क़रीब 200 मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आए थे। ऐसी ख़बरें थीं कि चीन सड़क बनाने की तैयारी में था जिससे कि वह अपने सैनिकों को आसानी तैनात कर सके और उनके लिए साजो-सामान ला सके। हालाँकि तब भारतीय सैनिकों ने उन्हें रोक दिया था और इस कारण विवाद बढ़ गया था। उस दौरान दोनों देशों के सैनिकों में किसी प्रकार की झड़प नहीं हुई थी, हालाँकि चीनी सैनिक सड़क बनाने का सामान छोड़ भागे थे। तब यह मामला राजनीतिक तौर पर काफ़ी संवेदनशील हो गया था और दोनों देशों के प्रमुखों के मिलने के बाद यह शांत हुआ था। तब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वार्ता हुई थी।

अरुणाचल में भारत करेगा युद्ध अभ्यास

सीमा के पास चीन की हरकतों को देखकर भारत भी चीन के साथ लगती सीमाओं के साथ तेज़ी से बुनियादी ढांचे को दुरुस्त कर रहा है। भारतीय सेना सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर एक युद्ध अभ्यास करने की तैयारी कर रही है। इस युद्धाभ्यास का नाम हिमविजय है। इसमें  वायु सेना और सेना संयुक्त रूप से भारतीय सीमा के भीतर वास्तविक युद्ध परिदृश्य का अभ्यास करेंगी। रिपोर्टें हैं कि यह युद्ध अभ्यास अक्टूबर महीने में होगा। इसमें क़रीब 5000 जवान हिस्सा लेंगे।

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मोदी-जिनपिंग मुलाक़ात का असर कितना?

मीडिया रिपोर्टों में सेना के सूत्रों के हवाले से कहा जाता रहा है कि हाल के महीनों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़पें कम हो गई हैं। डोकलाम विवाद के बाद प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाक़ात के बाद स्थिति बदली। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच पिछले साल चीन के वुहान में भी एक शिखर वार्ता हुई थी। यह शिखर मुलाक़ात बिना किसी एजेंडे के हुई थी जिसमें कई मसलों पर चर्चा हुई थी। लेकिन तब दोनों देशों की सेनाओं को कहा गया था कि पेट्रोलिंग के दौरान वे एक-दूसरे से किसी टकराव से बचें। इसके बाद दोनों सेनाओं ने ऐसा समय तय किया था कि वे एक-दूसरे से टकराव से बच सकें। इन्हीं परिस्थितियों में गुरुवार के दोनों सेनाओं के बीच टकराव से कुछ सवाल खड़े होते हैं। सवाल इसलिए भी कि चीन के राष्ट्रपति अगले महीने भी भारत आने वाले हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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