ऐसा साफ दिखता है कि मोदी सरकार किसानों के आंदोलन के सामने बेबस है और शायद इसीलिए वह यहां तक पहुंची है कि अपने ही क़ानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के लिए तैयार है। वरना, इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ जब पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ था तो सरकार को बातचीत की टेबल तक लाने में किसान संगठनों को लंबा वक़्त लगा था।
किसान नेता सरकार का प्रस्ताव ठुकराएंगे या मान जाएंगे?
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- 21 Jan, 2021
यह भी पहला मौक़ा है जब किसान नेताओं ने सरकार की किसी बात को एक झटके में खारिज नहीं किया।

उसके बाद जब किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर आकर बैठ गए तो सरकार संशोधनों के लिए भी तैयार हो गई और अब तो वह इससे भी चार क़दम आगे बढ़ चुकी है।