ऐसा साफ दिखता है कि मोदी सरकार किसानों के आंदोलन के सामने बेबस है और शायद इसीलिए वह यहां तक पहुंची है कि अपने ही क़ानूनों पर डेढ़ साल तक रोक लगाने के लिए तैयार है। वरना, इन क़ानूनों के ख़िलाफ़ जब पंजाब में आंदोलन शुरू हुआ था तो सरकार को बातचीत की टेबल तक लाने में किसान संगठनों को लंबा वक़्त लगा था।