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ईवीएम को लेकर आंदोलन करेंगी ममता, विधानसभा चुनाव पर है नज़र

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ईवीएम को लेकर देश भर में आंदोलन छेड़ेंगी। ममता ने सभी विपक्षी दलों से इस लड़ाई में साथ आने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम में हुई छेड़छाड़ की आशंका को लेकर एक कमेटी बनाई जानी चाहिए और इस मामले की जाँच की जानी चाहिए। बंगाल में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के दमदार प्रदर्शन के बाद 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर ममता बनर्जी सतर्क हो गई हैं। ममता क़तई नहीं चाहती हैं कि बंगाल में अगला विधानसभा चुनाव ईवीएम से हो और इसीलिए उन्होंने ईवीएम हटाओ, बैलेट लाओ की आवाज़ बुलंद की है।
बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ईवीएम को हटाने और बैलेट से चुनाव कराने के लिए पूरे राज्य में पदयात्रा करेगी। ममता ने कहा, ‘हम मशीन नहीं चाहते। हम बैलेट चाहते हैं। हमें हमारा बैलेट सिस्टम दो और लोकतंत्र को बचाओ।’ ममता ने यह बात पार्टी के सांसदों, विधायकों और मंत्रियों की बैठक लेने के बाद कही।
ममता ने कहा कि हम इस आंदोलन को पूरे देश में फैलाएँगे और हमें अमेरिका को याद रखना चाहिए जिसने ईवीएम को हटा दिया है। ममता की इस माँग को कांग्रेस का भी साथ मिला है। कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी इस आंदोलन का समर्थन करेगी।
ममता ने कहा कि 1984 में कांग्रेस ने बंगाल में 16 लोकसभा सीटें जीती थीं। 2009 में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था और 25 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन तब किसी ने भी नतीजों को लेकर सवाल नहीं उठाया था।
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बता दें कि इस साल 19 जनवरी को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में हुई विपक्षी दलों की रैली में भी ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाए थे। 20 से ज़्यादा विपक्षी दलों के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था कि मतगणना से पहले 50 फ़ीसदी 50 फीसदी वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम से मिलान किया जाए और इसका आदेश चुनाव आयोग को दिया जाए। लेकिन शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग की याचिका को खारिज कर दिया था।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने इस बार लोकसभा चुनाव में जोरदार धमक के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। बीजेपी को राज्य में 18 सीटों पर जीत मिली है जबकि 2014 में वह सिर्फ़ 2 सीटें जीती थीं। जबकि तृणमूल 2014 में मिली 34 सीटों के बजाय 22 सीटों पर आ गई।
तृणमूल का वोट शेयर पिछली बार के मुक़ाबले (39.79%) थोड़ा सा बढ़ा है और उसे 43.28% वोट मिले हैं। जबकि बीजेपी ने लंबी छलांग लगाते हुए पिछली बार मिले 23.23% वोट के मुक़ाबले इस बार 40.25% वोट हासिल किए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान भी बंगाल ही एक ऐसा राज्य था, जहाँ से लगातार राजनीतिक हिंसा की ख़बरें आई थीं। बीजेपी और तृणमूल दोनों एक-दूसरे पर उनके दलों के कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगाते रहे हैं। 
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2021 में होने वाले बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी और तृणमूल में कड़ी टक्कर हो सकती है। बनर्जी को सत्ता में वापसी के लिए बीजेपी से पूरी ताक़त के साथ भिड़ना होगा।
बता दें कि डाले गए वोट और ईवीएम से ग़िनती में निकले वोटों की संख्या में अंतर को लेकर जिस तरह की ख़बरें सामने आ रही हैं, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव की मतगणना से पहले कई जगहों पर ईवीएम लावारिस हालत में मिली थीं। तब इसे लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठे थे कि वह ईवीएम की सुरक्षा ही नहीं कर पा रहा है तो निष्पक्ष चुनाव के उसके दावे पर मतदाता आख़िर कैसे भरोसा करें।
चुनाव परिणाम आने के बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने ईवीएम को लेकर हमला बोलते हुए कहा था कि जनता का विश्वास इससे हट गया है। इसके अलावा एनसीपी प्रमुख शरद पवार, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और कई दलों के नेता ईवीएम को हटाने की माँग कर चुके हैं।
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सवाल यह है कि अगर ममता बनर्जी और विपक्ष ईवीएम को हटाने को लेकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करते हैं तो क्या चुनाव आयोग इस दबाव में आकर बैलेट पेपर पर लौट सकता है। वैसे, दुनिया के कई देशों में ईवीएम से चुनाव कराना बंद हो गया है और वहाँ बैलेट पेपर से चुनाव कराये जा रहे हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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