जैश-ए-मोहम्मद के एक कमांडर ने संसद हमले और 26/11 मुंबई हमले में मसूद अजहर की भूमिका कबूल की है। पाकिस्तान की दोहरी नीति एक बार फिर उजागर हुई। पूरी जानकारी पढ़ें।
पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद यानी जेईएम के कमांडर मसूद इलियास कश्मीरी के एक वायरल वीडियो ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। इस वीडियो में कश्मीरी को यह कहते सुना जा सकता है कि जेईएम के सरगना मसूद अजहर ने पाकिस्तान के बालाकोट से ही 2001 के संसद हमले और 2008 के 26/11 मुंबई हमलों की साजिश रची थी। यह कबूलनामा भारत द्वारा लंबे समय से लगाए जा रहे आरोपों की पुष्टि करता है और पाकिस्तान की आतंकवाद को शरण देने वाली नीति को नंगा करता है। यह जेईएम कमांडर का दूसरा प्रमुख कबूलनामा है। यह मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अजहर के परिवार की हत्या पर रोते हुए दिए गए बयान के बाद आया है।
कश्मीरी का यह वीडियो पाकिस्तान में एक आतंकी सम्मेलन के दौरान रिकॉर्ड किया गया, जिसमें वह अजहर को वैश्विक प्रतिरोध का प्रतीक बताता है और कहता है कि उसे पाकिस्तानी सेना का संरक्षण मिला है। वीडियो में वह कहता है, 'तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद अमीर-उल-मुजाहिदीन मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान आया। बालाकोट की मिट्टी ने उसे अपनी गोद में लिया, जहां से उसने दिल्ली और मुंबई पर हमले किए।' यह बयान पाकिस्तान की उस दलील को धता बताता है कि उसके इलाके में कोई आतंकी कैंप नहीं हैं।
जैश कमांडर का वीडियो
यह वीडियो 16 सितंबर को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। यह जेईएम के एक कार्यक्रम से लिया गया लगता है। कश्मीरी पर पठानकोट और उरी हमलों से जुड़े होने का आरोप लगता है। कश्मीरी ने अजहर की तारीफ़ में कहा कि बालाकोट अजहर का बेस था, जहाँ से वह ओसामा बिन लादेन की विचारधारा से प्रेरित होकर भारत के खिलाफ जिहाद चला रहा था। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार वीडियो में कश्मीरी ने साफ़ शब्दों में कहा, 'मसूद अजहर ने पाकिस्तान की मिट्टी से ही संसद और मुंबई पर हमले की योजना बनाई। यह उसके विज़न और मिशन का हिस्सा था।'
यह दूसरा प्रमुख कबूलनामा है। पहला कबूलनामा मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आया था जिसमें अजहर के परिवार के टुकड़ों में बिखरने की बात कही गई थी। उस हमले में जेईएम का बहावलपुर मुख्यालय तबाह हो गया, जिसमें अजहर की बहन, जीजा, भतीजा, भतीजी और पांच बच्चे मारे गए।
मसूद अजहर का आतंकी इतिहास
मसूद अजहर पाकिस्तान के बहावलपुर का रहने वाला एक दानिश उलेमा है। 1994 में जम्मू-कश्मीर में गिरफ्तार होने के बाद 1999 में उसको इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण (आईसी-814) के बदले रिहा किया गया। रिहाई के तुरंत बाद उसने जेईएम की स्थापना की, जो कश्मीर में भारत के खिलाफ जिहाद का केंद्र बन गया।
अजहर पर लगे प्रमुख आरोप
13 दिसंबर 2001 को दिल्ली में संसद पर हमला हुआ जिसमें 9 लोग मारे गए। जेईएम ने जिम्मेदारी ली और अजहर ने पाकिस्तानी सेना के अस्पताल से हमले को मंजूरी दी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर हमला हुआ, जिसमें 166 लोग मारे गए। लश्कर-ए-तैयबा यानी एलईटी के साथ मिलकर जेईएम ने साजिश रची। अजहर के भाई अब्दुल रऊफ असगर ने हमले में भूमिका निभाई। 2016 पठानकोट एयरबेस, 2016 उरी, 2019 पुलवामा हमले में भी उसका नाम आया है।
अजहर का परिवार भी आतंक में डूबा है। उसके भाई इब्राहिम और रऊफ जेईएम के प्रमुख नेता हैं, जबकि बेटा अब्दुल्ला डिजिटल वॉलेट से फंडिंग करता है। संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इनकार किया।
सेना का संरक्षण और झूठ का पर्दाफाश
कश्मीरी के बयान से पाकिस्तानी सेना की भूमिका उजागर हुई है। वह कहता है कि अजहर को 'पाकिस्तान की मिट्टी ने गोद लिया', जो आईएसआई के संरक्षण का संकेत है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी कैंपों को नष्ट किया, जिसमें बहावलपुर जेईएम मुख्यालय शामिल था। 100 से अधिक आतंकी मारे गए। कश्मीरी ने बताया कि कैसे पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों ने अपने जनरलों को बहावलपुर में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में शामिल होने का आदेश दिया था।
सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो सामने आए थे जिनमें उच्च पदस्थ पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी भारतीय हवाई हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार का नेतृत्व कर रहे थे। भारत ने प्रतिबंधित आतंकवादियों को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार देने के लिए इस्लामाबाद की कड़ी आलोचना की थी।
कश्मीरी ने दावा किया कि यह निर्देश रावलपिंडी से आया था, जिससे नई दिल्ली के लंबे समय से चले आ रहे इस दावे को और बल मिला कि पाकिस्तान का सैन्य-खुफिया गठजोड़ आतंकवाद को प्रायोजित करता है।