Medical Education Corruption: सीबीआई ने करोड़ों रुपयों के भारत के सबसे बड़े मेडिकल शिक्षा घोटाले का पर्दाफाश किया है। इसमें स्वयंभू बाबा रविशंकर महाराज, पूर्व यूजीसी चेयरमैन डीपी सिंह और कई शीर्ष सरकारी अधिकारी शामिल हैं।
स्वयंभू बाबा रविशंकर महाराजा उर्फ रावतपुरा सरकार।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भारत में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े घोटालों में से एक का पर्दाफाश किया है। इस घोटाले में पूर्व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अध्यक्ष डीपी सिंह, स्वयंभू धर्मगुरु रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार, और कई शीर्ष सरकारी अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। यह घोटाला देश के कई राज्यों में फैला हुआ है और इसमें निजी मेडिकल कॉलेजों को अनुमोदन, निरीक्षण और मान्यता देने में भ्रष्टाचार का जाल बिछाया गया था। धर्मगुरु रावतपुरा सरकार को बीजेपी नेताओं का समर्थन हासिल है। उनके फोटो नेताओं के साथ देखे जा सकते हैं।
सीबीआई ने इस मामले में 34 लोगों के खिलाफ एफआई दर्ज की है, जिनमें स्वास्थ्य मंत्रालय के आठ अधिकारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण का एक अधिकारी और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की निरीक्षण टीम के पांच डॉक्टर शामिल हैं। जांच में पाया गया कि यह गिरोह स्वास्थ्य मंत्रालय के भीतर से संचालित हो रहा था, जहां गोपनीय दस्तावेजों और संवेदनशील जानकारी को अवैध रूप से निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों तक पहुंचाया जा रहा था।
घोटाले का केंद्र: रावतपुरा इंस्टीट्यूट
इस घोटाले का एक प्रमुख केंद्र छत्तीसगढ़ के नया रायपुर स्थित रावतपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च है। सीबीआई ने हाल ही में आठ लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें एनएमसी की निरीक्षण टीम के तीन डॉक्टर शामिल हैं। इन डॉक्टरों पर आरोप है कि उन्होंने कॉलेज की कमियों के बावजूद अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपये की रिश्वत ली। इस रिश्वत का लेन-देन हवाला के जरिए किया गया।
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, रावतपुरा सरकार ने यूजीसी टीम के निरीक्षण की तारीख और मूल्यांकनकर्ताओं के नामों की गोपनीय जानकारी हासिल करने की कोशिश की। इसके लिए उन्होंने पूर्व यूजीसी अध्यक्ष और वर्तमान में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) के चांसलर डीपी सिंह से संपर्क किया। डीपी सिंह ने कथित तौर पर इस काम को एक अन्य व्यक्ति, सुरेश, को सौंपा।
जालसाजी और भ्रष्टाचार का जाल
सीबीआई ने खुलासा किया कि इस घोटाले में नकली संकाय (घोस्ट फैकल्टी), फर्जी मरीजों की भर्ती, और बायोमेट्रिक हाजिरी प्रणाली में छेड़छाड़ जैसे धोखाधड़ी के तरीके अपनाए गए। इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया पर भी आरोप है कि उन्होंने डॉक्टरों की उपस्थिति को फर्जी दिखाने के लिए कृत्रिम उंगलियों का इस्तेमाल किया।
जांच में यह भी सामने आया कि जीतूलाल मीणा, एनएमसी की मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य, इस घोटाले के प्रमुख मध्यस्थ थे। उन्होंने कथित तौर पर हवाला के जरिए रिश्वत ली और इसका एक हिस्सा राजस्थान में 75 लाख रुपये की लागत से हनुमान मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किया।
एफआईआर में गुड़गांव के वीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली के द्वारका की मनीषा जोशी और इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया और उदयपुर के गीतांजलि विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार मयूर रावल जैसी प्रमुख चिकित्सा शिक्षा हस्तियां शामिल किया है।
पांच राज्यों में फैला घोटाला
यह घोटाला राजस्थान, गुड़गांव, इंदौर, वारंगल और विशाखापट्टनम जैसे शहरों तक फैला हुआ है। सीबीआई ने पाया कि कई निजी मेडिकल कॉलेजों ने अनुमोदन और मान्यता हासिल करने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत दी। उदाहरण के लिए, वारंगल के फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने 20 लाख और 46 लाख रुपये की दो अलग-अलग राशियां दीं, जबकि विशाखापट्टनम के गायत्री मेडिकल कॉलेज ने 50 लाख रुपये का भुगतान किया।
सीबीआई ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच को और तेज करने की योजना है। एजेंसी ने स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी के अधिकारियों के साथ-साथ निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों को तलब करने की तैयारी की है। सीबीआई ने कहा कि इस तरह की गतिविधियां मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों को खतरे में डालती हैं।
यह घोटाला न केवल मेडिकल शिक्षा प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि कैसे शीर्ष अधिकारी और प्रभावशाली लोग इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं। सीबीआई की जांच आगे क्या खुलासे लाएगी, यह देखना बाकी है।
बीजेपी नेताओं से संबंध
स्वयंभू बाबा रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार के बीजेपी नेताओं के संबंध हैं। मध्य प्रदेश के पशुपालन और डेयरी मंत्री लखन पटेल ने 5 जुलाई को धर्मगुरु के प्रकटोत्सव पर एक फोटो एक्स पर शेयर किया है। जिसमें मंत्री लखन पटेल नीचे बैठे हैं और धर्मगुरु सोफे पर। मंत्री ने लिखा है- रावतपुरा सरकार महाराज जी के प्रकटोत्सव पर चरणों में नमन! आपका तप, सेवा और जनकल्याण हेतु समर्पण समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आप सदैव स्वस्थ रहें, दीर्घायु हों और सनातन धर्म का गौरव बढ़ाते रहें। स्वयंभू धर्मगुरु कई बार मुख्यमंत्री मोहन यादव का फोटो अपने विज्ञापनों में प्रकाशित करते रहते हैं। कोरबा की बीजेपी सांसद ने सोशल मीडिया पर उनके प्रकटोत्सव की बधाई दी है।