प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने और सीमा पर शांति बनाए रखने पर जोर दिया। चीन में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान यह मुलाकात हुई। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ वार के बीच दोनों नेताओं की इस द्विपक्षीय बैठक को भारत और चीन के बीच रिश्ते की सुधार की दिशा में एक और बड़ा क़दम माना जा रहा है। यह मुलाकात पिछले पाँच वर्षों से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर चल रहे सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की पहल के बीच हुई।

पीएम मोदी ने कहा, 'हम भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सीमा पर शांति और स्थिरता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बनेगी।' उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हुए हैं और इन संबंधों का वैश्विक शांति व समृद्धि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, 'हमारी पिछली मुलाकात के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बहाल हो रही हैं।'

जिनपिंग को भारत आने का निमंत्रण

पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाक़ात के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 2026 में भारत द्वारा आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है, 'पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने पिछले साल कज़ान में हुई अपनी बैठक के बाद से भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति की समीक्षा की। भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण संबंध हमारे आर्थिक विकास, सुधरते बहुपक्षवाद और एक बहुध्रुवीय विश्व और एशिया के लिए अहम हैं। सीमा विवाद पर दोनों विशेष प्रतिनिधियों के कार्यों का समर्थन किया। लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान को और बढ़ावा देने पर सहमति हुई। भारत और चीन के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग विश्व अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद करता है।'
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दोस्त बनना सही फैसला है: जिनपिंग

द्विपक्षीय बैठक के दौरान शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि दोनों देशों का दोस्त बनना सही फैसला है। उन्होंने कहा कि "हाथी और ड्रैगन को एक-दूसरे की सफलता के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए। राष्ट्रपति शी ने कहा, 'हम दोनों अपने लोगों की भलाई में सुधार लाने, विकासशील देशों की एकजुटता और कायाकल्प को बढ़ावा देने और मानव समाज की प्रगति को गति देने की ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी निभाते हैं।' शी जिनपिंग ने भी इस मुलाकात को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि दोनों देशों को संवाद और सहयोग बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'भारत और चीन, दोनों प्राचीन सभ्यताएं और उभरते हुए प्रमुख देश हैं। हमें मतभेदों को ठीक करने और विकास के लिए एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।'

यह मुलाकात पिछले साल अक्टूबर 2024 में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद हुई। यानी पिछले दस महीनों में यह उनकी दूसरी मुलाकात है। कज़ान में हुई मुलाकात के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में दो प्रमुख टकराव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी पूरी की थी। इसके बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, चीनी पर्यटकों के लिए भारतीय वीजा और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने जैसे कदम उठाए गए।
हालाँकि, मई 2025 में भारत को पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव के दौरान चीन द्वारा पाकिस्तानी सेना को सक्रिय सहायता के सबूत मिले। इससे भारत चीन के संबंध कुछ हद तक प्रभावित हुए। इसके बावजूद दोनों पक्ष अब एक कदम आगे बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इस मुलाकात के लिए लगभग 40 मिनट का समय तय किया गया है।

पीएम तियानजिन पहुँचे

प्रधानमंत्री 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए जापान से चीन के तियानजिन पहुँचे। यह सात वर्षों में उनकी पहली चीन यात्रा है। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया है, 'चीन के तियानजिन पहुँच गया हूँ। शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न वैश्विक नेताओं से मुलाकात के लिए उत्सुक हूँ।' 
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इसके साथ ही यह भी संकेत दिया गया है कि बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारतीय अधिकारी शी जिनपिंग के साथ इस बैठक को एक प्रमुख द्विपक्षीय बैठक के रूप में पेश करने को लेकर सतर्क रहे हैं। कहा गया है कि यह एक बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए एक यात्रा है और मेजबान नेता के साथ द्विपक्षीय बैठक असामान्य नहीं है।


मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की ज़रूरत पर जोर दिया। हाल ही में हुई सीमा वार्ताओं में दोनों पक्षों ने 10 बिंदुओं पर सहमति जताई थी, जिसे सकारात्मक माना गया है। पूर्वी लद्दाख में अभी भी दोनों पक्षों की ओर से काफ़ी सैनिक तैनात हैं, और डी-एस्केलेशन का मुद्दा अभी भी जटिल बना हुआ है।

दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया। हाल ही में दोनों पक्षों ने सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने, सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने और व्यापारिक बाधाओं को कम करने पर सहमति जताई है। भारत और चीन के बीच 2024-25 में 127.7 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें भारत का व्यापार घाटा 62.9 बिलियन डॉलर रहा।

कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और चीनी पर्यटकों के लिए वीजा सुविधा जैसे कदम लोगों के बीच संपर्क को बढ़ाने की दिशा में हैं। इसके अलावा, ब्रह्मपुत्र नदी जैसे सीमापार नदी सहयोग पर भी चर्चा हो सकती है, क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए अहम है।

ट्रंप के टैरिफ़ का साया

दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और रूसी तेल खरीद पर 25% की पेनल्टी लगाने की घोषणा से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। इसने भारत को बीजिंग और मॉस्को के करीब लाने में योगदान दिया है।

भारत ने अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए गैर-पश्चिमी गठबंधनों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। एससीओ शिखर सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी मोदी की मुलाकात होगी, जो भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करेगी।
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भारत की रणनीति

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाकात से पहले जापान का दौरा किया, जहाँ उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ मुलाकात की। यह दौरा भारत की रणनीति को दिखाता है, जिसमें वह अमेरिका के साथ तनाव के बीच अपने व्यापार और निवेश को विविधता देने की कोशिश कर रहा है।

मोदी ने अपने एक बयान में कहा, 'भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए अहम हैं।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि दोनों देशों के बीच स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध एक बहुध्रुवीय एशिया और विश्व के लिए ज़रूरी हैं।