सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 14 जुलाई को केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में 16 जुलाई को होने वाली फांसी को रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि यमन में निमिषा की फांसी को रोकने के लिए "ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।" अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा, "यमन की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए और वहां भारत के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध न होने के कारण सरकार के लिए दखल देना मुश्किल है।" हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार निजी चैनलों के माध्यम से निमिषा को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है।
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स हैं। उन्हें 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की गई है। 'सेव निमिषा प्रिया एक्शन काउंसिल' ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार से राजनयिक चैनलों के माध्यम से उनकी रिहाई सुनिश्चित करने की मांग की है।
याचिका में कहा गया है कि शरिया कानून के तहत 'ब्लड मनी' (दिया) के जरिए पीड़ित के परिवार से माफी प्राप्त की जा सकती है। निमिषा के परिवार ने पीड़ित के परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) की पेशकश की है, लेकिन अभी तक इस पर सहमति नहीं बनी है।
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लाइव लॉ के मुताबिक अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की अदालत में कहा- "एक सीमा है जहाँ तक भारत सरकार जा सकती है। हम उस सीमा तक पहुँच चुके हैं।" याचिका में केंद्र सरकार से यमनी अधिकारियों और पीड़ित के परिवार के साथ बातचीत करने का अनुरोध किया गया है ताकि 'ब्लड मनी' के जरिए निमिषा की सजा को माफी में बदला जा सके।
निमिषा 2008 में अपने माता-पिता की आर्थिक मदद के लिए यमन गई थीं। वहां उन्होंने कई अस्पतालों में काम किया और 2015 में अपनी क्लिनिक खोलने का फैसला किया। यमनी कानून के अनुसार, उन्हें स्थानीय साझेदार की जरूरत थी, इसलिए उन्होंने तलाल अब्दो मेंहदी के साथ पार्टनरशिप की। निमिषा के परिवार का दावा है कि मेंहदी ने उनके साथ शारीरिक, मानसिक और वित्तीय धोखाधड़ी की और उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश में निमिषा ने कथित तौर पर मेंहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, जिसकी अधिक मात्रा के कारण उनकी मौत हो गई।
2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया और 2020 में सना की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने इस फैसले को बरकरार रखा।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने कहा, "मैं माननीय प्रधानमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे संबंधित अधिकारियों के साथ इस मामले को उठाकर निमिषा प्रिया की जान बचाने के लिए हस्तक्षेप करें।"
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मामले में किए गए प्रयासों की जानकारी मांगी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि मंत्रालय इस मामले पर बारीकी से नजर रख रहा है और यमनी अधिकारियों के साथ संपर्क में है। हालांकि, सना, जहां निमिषा कैद है, हूती प्रशासन के नियंत्रण में है, जिसके साथ भारत के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, जिससे यह प्रक्रिया और जटिल हो गई है।
निमिषा की मां, प्रेमा कुमारी, अप्रैल 2024 से यमन में हैं और पीड़ित के परिवार के साथ बातचीत के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम की मदद ले रही हैं। 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने क्राउडफंडिंग के जरिए 1 मिलियन डॉलर की राशि जुटाई है।
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कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने भी प्रधानमंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है, जिसमें यमन में चल रहे गृहयुद्ध के कारण राजनयिक चुनौतियों का जिक्र किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में 14 जुलाई की सुनवाई निमिषा के लिए आखिरी उम्मीद मानी जा रही थी। उनके पति, टॉमी थॉमस, ने कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ नियमित संपर्क में हैं और सरकार के प्रयासों से पॉजिटिव नतीजे की उम्मीद कर रहे हैं।