ऑल्ट न्यूज़, बूम लाइव जैसी फ़ैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों के लिए अब रजिस्ट्रेशन ज़रूरी हो सकता है। उनकी जवाबदेही तय करने के लिए एक विधेयक में इसका प्रावधान किए जाने की तैयारी है। यदि ऐसा हो गया तो फिर ऐसी वेबसाइटें बिना रजिस्ट्रेशन के फ़ैक्ट चेक क्या कर पाएँगी! तो सवाल है कि फ़ेक न्यूज़ का क्या होगा? क्या सरकारी एजेंसी या फिर सरकार द्वारा मंजूर वेबसाइट ही फ़ैक्ट चेक कर पाएँगी?