आधार में क्या बहुत बड़ी-बड़ी खामियाँ हैं? आख़िर वर्षों से UIDAI के कामकाज में सुधार क्यों नहीं हो पाया है? जानिए, लोकसभा की संसदीय समिति ने सरकार से UIDAI की कार्यप्रणाली और आधार डेटाबेस की समीक्षा की मांग क्यों की।
संसद की लोक लेखा समिति यानी पीएसी ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानी यूआईडीएआई के कामकाज की समीक्षा की मांग की है। समिति ने इस पर चिंता जताई है कि आधार कार्ड का बायोमेट्रिक वेरिफ़िकेशन काफ़ी ज़्यादा फेल हो रहा है। एक दिन पहले हुई बैठक में समिति ने कहा कि बायोमेट्रिक वेरिफ़िकेशन फेल होने के कारण कई पात्र लोग राशन वितरण और मनरेगा जैसी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं। समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल कर रहे हैं।
लोक लेखा समिति ने अपनी बैठक में बताया कि आधार कार्ड के बायोमेट्रिक वेरिफ़िकेशन यानी फिंगरप्रिंट और आँखों की पुतलियों की स्कैनिंग में बार-बार फेल होने की समस्या सामने आ रही है। इसका सबसे बड़ा असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी MGNREGA जैसी सरकार की योजनाओं के तहत राशन और नौकरी जैसे लाभ लेते हैं। सांसदों ने कहा कि कई बार मेहनतकश लोगों के फिंगरप्रिंट मशीनों में ठीक से काम नहीं करते। इस कारण उनकी पहचान आधार डेटाबेस से मेल नहीं खाती।
के.सी. वेणुगोपाल ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'यह आम आदमी का मुद्दा है। हमने कई समस्याओं को उजागर किया है और कई सवाल उठाए हैं।' उन्होंने बताया कि समिति इस मामले की गहराई से जाँच करेगी और आधार से जुड़ी समस्याओं का समाधान ढूंढने की कोशिश करेगी।
डेटा सिक्योरिटी और डुप्लिकेशन की चिंता
समिति ने आधार डेटाबेस में डुप्लिकेशन और डेटा सिक्योरिटी को लेकर भी सवाल उठाए। कुछ सांसदों ने बताया कि आधार कार्ड की संख्या देश की कुल जनसंख्या से ज़्यादा हो सकती है, जिससे डुप्लिकेशन की आशंका बढ़ती है। इसके अलावा मृत व्यक्तियों के आधार कार्ड को निष्क्रिय करने में देरी की समस्या भी सामने आई। रिपोर्टों के अनुसार यूआईडीएआई अधिकारियों ने बताया कि मृतकों के आधार को निष्क्रिय करने की प्रक्रिया स्वैच्छिक है, लेकिन पीएसी ने यूआईडीएआई को इस सूची को सक्रिय रूप से साफ करने का निर्देश दिया।
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कुछ सांसदों ने डार्क वेब पर आधार डेटा लीक होने की ख़बरों पर भी चिंता जताई। यूआईडीएआई अधिकारियों ने दावा किया कि उनका सेंट्रल डेटाबेस पूरी तरह सुरक्षित है और इसे तोड़ा नहीं जा सकता। फिर भी समिति ने यूआईडीएआई से डेटा सिक्योरिटी को और मज़बूत करने और डेटा उल्लंघन की ख़बरों की जाँच करने को कहा।
अवैध प्रवासियों को आधार मिलने का मुद्दा
बीजेपी सांसदों ने समिति की बैठक में यह चिंता उठाई कि कुछ अवैध प्रवासियों या गैर-पात्र व्यक्तियों को आधार कार्ड मिल रहे हैं। इसके ज़रिए वे वोटर आईडी और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आधार केवल नागरिकता का प्रमाण नहीं है, बल्कि यह निवास का प्रमाण है। इस कारण ग़लत लोग इसका फ़ायदा उठा सकते हैं। पीएसी ने यूआईडीएआई से आधार डेटाबेस का वैज्ञानिक ऑडिट करने और केवल पात्र भारतीय नागरिकों को आधार देने की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने को कहा।
क्या कहती है 2021 की सीएजी रिपोर्ट?
पीएसी की इस बैठक में 2021 के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई। इसमें यूआईडीएआई के कामकाज पर कई सवाल उठाए गए थे। इस रिपोर्ट में आधार सत्यापन की विफलता, डेटा सिक्योरिटी और ग़लत जानकारियों के कारण लोगों को होने वाली परेशानियों का ज़िक्र था। समिति ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और यूआईडीएआई के अधिकारियों से इस बारे में जवाब मांगा।
आधार की अन्य समस्याएँ
सांसदों ने आधार से जुड़ी शिकायतों के समाधान में देरी की भी बात उठाई। कई बार लोगों के आधार में नाम या जन्मतिथि में त्रुटि जैसी ग़लत जानकारी के कारण उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता। समिति ने यूआईडीएआई को आधार नामांकन प्रक्रिया को आसान करने और लोगों को आधार के लिए जरूरी दस्तावेजों की जानकारी देने के लिए एक सार्वजनिक परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया।
यूआईडीएआई अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने आधार आवेदन की प्रक्रिया को और सख्त कर दिया है और राज्य सरकारों को इस बारे में पत्र लिखे हैं। साथ ही, आधार धारकों को अपनी बायोमेट्रिक जानकारी को लॉक करने की सुविधा दी गई है ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके।
गड़बड़ियों का क्या हो रहा लोगों पर असर?
आधार कार्ड आज भारत में बैंक खाता खोलने, राशन लेने, और मोबाइल सिम लेने जैसी सरकारी और निजी सेवाओं के लिए ज़रूरी हो गया है। लेकिन बायोमेट्रिक वेरिफ़िकेशन की असफलता के कारण कई लोग इन सेवाओं से वंचित हो रहे हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां मेहनतकश लोगों के फिंगरप्रिंट घिसने या मशीनों की खराबी के कारण वेरिफिकेशन फेल हो जाता है। 2018 में यूआईडीएआई ने सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया था कि सरकारी सेवाओं के लिए आधार वेरिफ़िकेशन के फेल होने की दर 12% है। तब से अब तक यह समस्या बनी हुई है। कई मामलों में लोगों को आधार के कारण राशन और पेंशन जैसे लाभ नहीं मिल पाए।
क्या होगा आगे?
पीएसी ने यूआईडीएआई को आधार डेटाबेस की सफाई, बायोमेट्रिक वेरिफ़िकेशन की प्रक्रिया में सुधार और डेटा सिक्योरिटी को मज़बूत करने के लिए क़दम उठाने को कहा है। समिति ने यह भी सुझाव दिया कि आधार से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए एक तेज और आसान तंत्र बनाया जाए। यह मामला अब संसद के मानसून सत्र में और चर्चा का विषय बन सकता है।