पीएम नरेंद्र मोदी असम में
क्या नरेंद्र मोदी सरकार में भी राष्ट्रीय सुरक्षा ख़तरे में है? लगता है कि कम से कम प्रधानमंत्री मोदी को तो यही डर सता रहा है। उन्होंने रविवार को असम में एक जनसभा में साफ़-साफ़ कहा है कि 'बॉर्डर इलाक़ों में
घुसपैठियों के माध्यम से डेमोग्राफी बदलने की सुनियोजित साजिशें चल रही हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा ख़तरा हैं'। उन्होंने यह भी कहा कि 'बीजेपी का लक्ष्य है- घुसपैठियों से देश को बचाएंगे, घुसपैठियों से देश को मुक्ति दिलाएंगे'।
राज्य में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला और उसे वोटबैंक के लिए घुसपैठ को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने कहा, 'ये घुसपैठिए हमारे युवाओं का रोजगार छीन रहे हैं, बहनों-बेटियों पर हमले कर रहे हैं और निर्दोष आदिवासियों को ठगकर उनकी जमीन हड़प रहे हैं। देश यह बर्दाश्त नहीं करेगा।' यह बयान स्वतंत्रता दिवस भाषण में घोषित 'हाई-पावर्ड डेमोग्राफी मिशन' के बाद आया है, जो घुसपैठ की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार की नई पहल है।
लाल क़िले से भी चेताया था
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने सबसे लंबे
स्वतंत्रता दिवस भाषण में पहली बार घुसपैठ को 'सुनियोजित साजिश' करार दिया था। उन्होंने कहा था, 'घुसपैठियों के माध्यम से देश की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश हो रही है, जो सामाजिक तनाव और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। कोई भी देश घुसपैठियों को सौंपा नहीं जा सकता।' उसी भाषण में उन्होंने 'हाई-पावर्ड डेमोग्राफी मिशन' की घोषणा की, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन को रोकने के लिए तय समयसीमा में कार्रवाई करेगा।
बीजेपी, आरएसएस का मक़सद क्या?
प्रधानमंत्री के इस बयान को बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस की दूरगामी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। बीजेपी और आरएसएस लंबे समय से झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, और उत्तराखंड जैसे सीमावर्ती राज्यों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि को लेकर चिंता जताते रहे हैं। आरएसएस के मुखपत्र 'पाञ्चजन्य' ने पहले असम के नौ जिलों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक बनने और पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जैसे क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव की बात कही थी। मोदी का यह बयान हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना को उभारकर हिंदू वोटों को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, खासकर 2026 में होने वाले पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर।
झारखंड के 2024 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 'बांग्लादेशी घुसपैठ' को प्रमुख मुद्दा बनाया था, हालाँकि वह जीत हासिल नहीं कर सकी। तो क्या अब इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर बीजेपी एक बड़े सियासी हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है?
राष्ट्रीय सुरक्षा का नैरेटिव
पीएम मोदी ने जनसांख्यिकीय बदलाव को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा है। इसको आरएसएस ने भी समर्थन दिया है। आरएसएस के प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने पहले कहा था कि जनसांख्यिकीय डेटा राष्ट्रीय एकीकरण के लिए अहम है। 'हाई पावर डेमोग्राफी मिशन' को सरकार की ओर से एक ठोस कदम के रूप में पेश किया जा रहा है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा को मजबूत करने और घुसपैठ को रोकने पर केंद्रित है।
चुनावी रणनीति?
बहरहाल, पीएम मोदी का यह दौरा असम में बीजेपी की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां अवैध प्रवासन एक प्रमुख मुद्दा है। उन्होंने गोलाघाट में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए भी घुसपैठ पर जोर दिया। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि पीएम के नेतृत्व में राज्य सरकार 'मिशन बसुंधरा' के तहत घुसपैठियों की जमीनें वापस ले रही है। जानकारों का मानना है कि यह बयान न केवल असम-बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में बीजेपी को मजबूत करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकीय सुरक्षा को राजनीतिक एजेंडा बना देगा।
असम की एक रैली में पीएम ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने वोटबैंक के लिए अवैध प्रवासन को बढ़ावा दिया, जिससे असम के संवेदनशील जिलों में जनसांख्यिकीय असंतुलन पैदा हुआ। पीएम ने कहा, 'कांग्रेस ने 60 सालों में असम में सिर्फ़ तीन पुल बनवाए, हमने 10 सालों में छह बड़े पुल बना दिए। लेकिन घुसपैठ रोकने में उनकी कोई कोशिश नहीं हुई।'
असम में राजनीतिक हथियार
असम में अवैध घुसपैठ लंबे समय से संवेदनशील मुद्दा रहा है। 1980 के दशक के आंदोलन से लेकर एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस तक, यह राज्य की पहचान से जुड़ा है। असम सरकार की 'मिशन बसुंधरा' योजना के तहत अब तक हज़ारों एकड़ जमीन घुसपैठियों से वापस ली गई है और मुख्यमंत्री सरमा ने इसे पीएम के विजन से जोड़ा।
पीएम ने कई योजनाओं का उद्घाटन भी किया। गोलाघाट में उन्होंने 18 हज़ार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा, 'असम अब 13% की विकास दर से भारत का सबसे तेज बढ़ता राज्य है। आदिवासी जीवन का हिस्सा बांस कांग्रेस के समय प्रतिबंधित था; अब हम इसे आर्थिक शक्ति बना रहे हैं।' इसके अलावा, नेशनल डीपवाटर एक्सप्लोरेशन मिशन की घोषणा की, जो समुद्री संसाधनों का दोहन कर ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाएगा।
अगले साल असम और बंगाल में विधानसभा चुनावों से पहले यह 'घुसपैठियों' का मुद्दा बीजेपी के लिए हथियार बन सकता है। डेमोग्राफी मिशन को जल्द लागू किए जाने की संभावना है, जो घुसपैठ पर केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका बढ़ाएगा। तो सवाल है कि क्या यह पहचान की रक्षा करेगा या विभाजन बढ़ाएगा?