नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी को भारत की प्रत्यर्पण मांग पर अमेरिका में गिरफ्तार किया गया है। लेकिन क्या उसे भारत लाना इतना आसान होगा? जानिए कानूनी प्रक्रिया, चुनौतियाँ और इस मामले का अगला कदम।
भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक पंजाब नेशनल बैंक मामले में वांछित भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी के छोटे भाई नेहल मोदी को अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। यह गिरफ्तारी भारत सरकार की ओर से ईडी और सीबीआई द्वारा दायर की गई प्रत्यर्पण याचिका के आधार पर की गई। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारतीय अधिकारियों को बताया कि नेहल मोदी को शुक्रवार को हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई पीएनबी घोटाले की जाँच में एक अहम क़दम मानी जा रही है, जिसने भारतीय बैंकिंग क्षेत्र को झकझोर दिया था।
46 वर्षीय नेहल दीपक मोदी एक बेल्जियन नागरिक हैं। उन पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और आपराधिक साज़िश के गंभीर आरोप हैं। अमेरिकी अभियोजकों द्वारा दायर शिकायत के अनुसार, प्रत्यर्पण की कार्यवाही दो प्रमुख आरोपों पर आधारित है। प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए, 2002 की धारा 3 के तहत एक मामला है और दूसरा मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी यानी आपराधिक साजिश और धारा 201 यानी सबूतों को नष्ट करने का है।
अधिकारियों के अनुसार, नेहल मोदी की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी। इसमें वह जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, अमेरिकी अभियोजकों ने साफ़ किया है कि वे जमानत का विरोध करेंगे। भारत सरकार और जाँच एजेंसियाँ नेहल को भारत लाने के लिए अमेरिकी न्यायिक प्रणाली के तहत दस्तावेज जमा करने और क़ानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने की प्रक्रिया में हैं।
पीएनबी घोटाला मामला
क़रीब 13,500 करोड़ रुपये का पंजाब नेशनल बैंक घोटाला पहली बार 2018 की शुरुआत में सामने आया था। इस घोटाले में नीरव मोदी, उनके मामा मेहुल चोकसी और कई अन्य सहयोगियों ने कथित रूप से फ़र्ज़ी लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग यानी एलओयू के ज़रिए बैंक से भारी मात्रा में धनराशि का गबन किया। यह भारत के बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले का मुख्य आरोपी नीरव मोदी फ़िलहाल लंदन की एक जेल में बंद है और भारत प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है। दूसरी ओर, मेहुल चोकसी भी इस साल अप्रैल में बेल्जियम में गिरफ्तार हो चुके हैं और उनकी जमानत याचिकाएँ खारिज हो चुकी हैं।
नेहल मोदी पर क्या आरोप?
जाँच एजेंसियों के अनुसार नेहल मोदी ने अपने भाई नीरव मोदी की अवैध गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभाई। वह कथित तौर पर नीरव के लिए अपराध की आय को छिपाने और हस्तांतरित करने में शामिल थे। ईडी और सीबीआई की जाँच में पता चला है कि नेहल ने यूएई, हांगकांग, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स और अमेरिका में स्थापित शेल कंपनियों के जटिल नेटवर्क के ज़रिए बड़े पैमाने पर अवैध धन को स्थानांतरित किया।
इसके अलावा जब पीएनबी घोटाला सामने आया, तब नेहल ने नीरव के क़रीबी सहयोगी मिहिर आर. भंसाली के साथ मिलकर दुबई से 50 किलोग्राम सोना और भारी मात्रा में नकदी ले ली थी। उन्होंने डमी निदेशकों को निर्देश दिए थे कि वे जांच एजेंसियों के सामने उनका नाम उजागर न करें।
नेहल पर यह भी आरोप है कि उन्होंने सबूतों को ख़त्म करने और जाँच को भटकाने की कोशिश की। ईडी ने अपनी चार्जशीट में नेहल को नामजद किया है और उन्हें नीरव की अवैध गतिविधियों में जानबूझकर और इरादतन सहायता करने का दोषी ठहराया है।
अमेरिका में अन्य धोखाधड़ी का इतिहास
नेहल मोदी का धोखाधड़ी का इतिहास केवल भारत तक सीमित नहीं है। 2020 में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने उन्हें एलएलडी डायमंड्स यूएसए से 2.6 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 21 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के हीरे धोखाधड़ी से प्राप्त करने के लिए दोषी ठहराया था। इस मामले में नेहल ने झूठा दावा किया था कि वह कॉस्टको स्टोर्स के लिए हीरे बेचने के लिए सौदा कर रहे हैं, लेकिन सौदा कभी पूरा नहीं हुआ। इसके बजाय उन्होंने इन हीरों को बेचकर या गिरवी रखकर व्यक्तिगत लाभ कमाया। इस सजा को 2023 में बरकरार रखा गया था, हालाँकि यह साफ़ नहीं है कि उन्होंने इस मामले में सजा पूरी की या नहीं।
भारत की प्रत्यर्पण रणनीति
नेहल की गिरफ्तारी भारत की उन कोशिशों का हिस्सा है, जिनके तहत वह आर्थिक अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग कर रहा है। भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत भारतीय जाँच एजेंसियाँ अब अमेरिकी अदालतों में नेहल के प्रत्यर्पण के लिए मज़बूत सबूत पेश करेंगी। इस प्रक्रिया में कई महीने लग सकते हैं, क्योंकि यह अमेरिकी न्यायिक प्रणाली पर निर्भर करता है। रिपोर्टों के अनुसार विदेश मंत्रालय इस मामले में अमेरिकी न्याय विभाग के साथ समन्वय कर रहा है ताकि कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जा सकें।
प्रतिक्रियाएँ और भविष्य
नेहल मोदी की गिरफ्तारी को भारत में पीएनबी घोटाले की जाँच में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह क़दम न केवल घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने की दिशा में एक प्रगति है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत आर्थिक अपराधियों के ख़िलाफ़ वैश्विक स्तर पर सख़्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। जाँच एजेंसियों का कहना है कि नेहल की गिरफ्तारी से घोटाले से जुड़ी और भी अहम जानकारी सामने आ सकती है।
हालाँकि, नेहल के बेल्जियन नागरिक होने के कारण प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कुछ मुश्किलें आ सकती हैं। जानकारों का मानना है कि अमेरिकी अदालतें इस मामले में भारत के सबूतों की मज़बूती और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संधि के आधार पर फ़ैसला लेंगी।