थोक और खुदरा महँगाई दर का आँकड़ा रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच चुका है। महँगाई पर क़ाबू पाने का मोदी सरकार के पास फ़िलहाल कोई ठोस उपाय नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण महँगाई पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ज़रूर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों को सलाह दे रहे हैं कि वो अपनी राज्य सरकारों से पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने को कहें। लेकिन पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले केंद्रीय कर को कम करने के नाम पर उन्हें और मोदी सरकार के दूसरे मंत्रियों को सांप सूंघ जाता है।
महंगाई पर सरकार का खेल, पेट्रोल निकाल रहा आम आदमी का ‘तेल’
- देश
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- 19 Jun, 2021

पेट्रोल-डीजल केंद्र और राज्य सरकरों के लिए कमाई का सबसे बढ़िया ज़रिया है। पिछले सात साल में केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 258 प्रतिशत बढ़ाई है। जबकि डीजल में 820 प्रतिशत बढ़ी है। साल 2014 में पेट्रोल पर प्रति लीटर 9.20 रुपए एक्साइज ड्यूटी थी। आज 32.90 रुपए है। डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.46 रुपए थी। आज 31.80 रुपए हो गई है।
शुक्रवार को रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद ख़राब हुए आर्थिक हालात को दुरुस्त करने के लिए मौद्रिक नीति में बदलाव से लेकर तमाम दूसरे क़दम उठाने की ज़रूरत है। इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिनके सिर पर सरकार के साथ मिलकलर महंगाई रोकने के लिए ज़रूरी क़दम उठाने की ज़िम्मेदारी है, वो सिर्फ़ सलाह दे रहे हैं। दो हफ्ते पहले उन्होंने आम जनता को महँगाई से राहत देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से अपने-अपने हिस्से का टैक्स कम करने की अपील की थी। लेकिन उनकी इस अपील पर न मोदी सरकार का दिल पसीजा और न ही किसी राज्य सरकार के कानों पर ही जूं रेंगी।