सुप्रीम कोर्ट ने संभवत: पहली बार जज नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की सिफारिश पर केंद्र की आपत्ति को सार्वजनिक किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के समलैंगिक वकील को जज बनाने की अपनी सिफारिश को फिर से केंद्र के पास भेजा है। सौरभ किरपाल की पदोन्नति पाँच साल से लंबित है और यह तीसरी बार है जब शीर्ष अदालत ने सिफारिश की है। इस बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वो तथ्य भी सामने रख दिए हैं कि वह सौरभ किरपाल के नाम सिफारिश क्यों कर रहा है और केंद्र किन बातों को लेकर आपत्ति जता रहा है।
समलैंगिक के जज बनाने पर केंद्र को आपत्ति क्यों? SC ने किया खुलासा
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- 20 Jan, 2023
समलैंगिक होना भले ही अपराध नहीं हो, लेकिन क्या समलैंगिक होने के कारण जज बनने में रुकावट आ सकती है? दिल्ली हाई कोर्ट में एक काबिल वकील के जज बनने पर केंद्र क्यों आपत्ति कर रहा है? जानिए कॉलेजियम ने क्या कहा।

केंद्र ने समलैंगिक वकील सौरभ किरपाल को उनके यौन झुकाव के बारे में खुलेपन के आधार पर दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव वापस कर दिया था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र को आशंका है कि समलैंगिक अधिकारों के लिए उनके 'लगाव' को देखते हुए यह किरपाल के पूर्वाग्रह की संभावना से इंकार नहीं कर सकता है। इसलिए उसने प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था।