कोरोना महामारी के बीच आर्थिक संकट का सामना कर रही कई राज्यों की सरकारों ने धड़ाधड़ श्रम क़ानूनों में बदलाव कर दिया है। आख़िर ऐसे समय में जब मज़दूर घरों की ओर भाग रहे हैं और कंपनियों में काम नहीं करना चाहते हैं तो फिर उन श्रमिकों के अनुकूल माने जाने वाले इन क़ानूनों को क्यों हटाया जा रहा है? श्रमिकों की कमी से जूझने की आ रही रिपोर्टों के बीच राज्य सरकारों ने ऐसा फ़ैसला क्यों लिया? वे क्यों श्रम क़ानूनों में इतने बड़े बदलाव कर रहे हैं?