कोरोना महामारी के बीच आर्थिक संकट का सामना कर रही कई राज्यों की सरकारों ने धड़ाधड़ श्रम क़ानूनों में बदलाव कर दिया है। आख़िर ऐसे समय में जब मज़दूर घरों की ओर भाग रहे हैं और कंपनियों में काम नहीं करना चाहते हैं तो फिर उन श्रमिकों के अनुकूल माने जाने वाले इन क़ानूनों को क्यों हटाया जा रहा है? श्रमिकों की कमी से जूझने की आ रही रिपोर्टों के बीच राज्य सरकारों ने ऐसा फ़ैसला क्यों लिया? वे क्यों श्रम क़ानूनों में इतने बड़े बदलाव कर रहे हैं?
क्या श्रम क़ानूनों की वजह से ही कंपनियाँ नहीं आ पा रही हैं भारत?
- देश
- |
- 14 May, 2020
कोरोना संकट के बीच आर्थिक संकट का सामना कर रही कई राज्यों की सरकारों ने धड़ाधड़ श्रम क़ानूनों में बदलाव कर दिया है। आख़िर श्रमिकों के अनुकूल माने जाने वाले इन क़ानूनों को क्यों हटाया जा रहा है?

इन सवालों का जवाब यह है कि ये सरकारें ख़राब आर्थिक हालात से निपटने के लिए कंपनियों और निवेश को आमंत्रित करना चाहती हैं। इन सरकारों को लगता है कि चीन से बाहर जाने वाली कंपनियाँ भारत में आ जाएँगी और फिर ऐसी कंपनियों के आने से राज्य सरकारों को बड़ा फ़ायदा होगा। तो सवाल है कि वैसी कंपनियाँ अभी क्यों नहीं आ रही हैं और श्रम क़ानूनों में बदलाव के बाद क्या स्थिति बदल जाएगी?