सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को उनके द्वारा बनाए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक कार्टून के लिए कड़ी फटकार लगाई। मालवीय ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने उनके व्यवहार को "भड़काऊ" और "अपरिपक्व" करार देते हुए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। हालांकि 15 जुलाई मंगलवार को इसकी सुनवाई फिर होगी।

अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोगः कोर्ट

जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने सुनवाई के दौरान मालवीय के कार्टून को "अशोभनीय" और "खराब" बताया। कोर्ट ने कहा कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया है। जस्टिस धूलिया ने टिप्पणी की, "50 साल से ज्यादा उम्र हो गई है, फिर भी कोई परिपक्वता नहीं। यह निश्चित रूप से भड़काऊ है।" कोर्ट ने मालवीय को मंगलवार तक कार्टून के लिए माफी मांगने का समय दिया है।
मामले की शुरुआत मई 2021 में हुई, जब मालवीय ने कोविड-19 महामारी के दौरान एक कार्टून बनाया था। इसमें RSS की वर्दी पहने एक व्यक्ति को आपत्तिजनक तरीके से दिखाया गया था, जिसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पीछे से वैक्सीन लगाते हुए दिखाया गया था। इस कार्टून में भगवान शिव के बारे में भी कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी थी। मई 2025 में एक अन्य फेसबुक यूजर ने इस कार्टून को जातिगत जनगणना के संदर्भ में फिर से पोस्ट किया, जिसे मालवीय ने शेयर कर अपनी सहमति जताई। इसके बाद, RSS के सदस्य और वकील विनय जोशी ने शिकायत दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि कार्टून ने हिंदू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की।
ताज़ा ख़बरें
इस शिकायत के आधार पर, 21 मई 2025 को इंदौर के लसूडिया पुलिस स्टेशन में मालवीय के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNSS) की धारा 196, 299, 302, 352, और 353(2) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67A के तहत FIR दर्ज की गई। निचली अदालत और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि मालवीय ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा को पार किया और उनकी हिरासत में पूछताछ जरूरी है।

हेमंत मालवीय की वकील वृंदा ग्रोवर के तर्क

सुप्रीम कोर्ट में मालवीय की ओर से वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि यह मामला कलात्मक अभिव्यक्ति से संबंधित है और कार्टून चार साल से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध था। उन्होंने कहा कि मालवीय ने केवल पहले से मौजूद सामग्री को दोबारा शेयर किया था, और इसे दंडित करने के लिए इस्तेमाल करना असहमति को दबाने का प्रयास है। ग्रोवर ने यह भी तर्क दिया कि इस मामले में गिरफ्तारी और हिरासत की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इससे व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है।

विवादित पोस्ट हटाने और माफी को तैयार

हालांकि, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि कार्टून "अत्यधिक भड़काऊ" और "साम्प्रदायिक रूप से उत्तेजक" था। कोर्ट ने मालवीय के वकील से पूछा कि क्या वह विवादास्पद पोस्ट को हटाने और माफी जारी करने को तैयार हैं, जिस पर ग्रोवर ने तत्काल सहमति जताई।
देश से और खबरें

कल 15 जुलाई को भी सुनवाई 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 15 जुलाई 2025 के लिए तय की है। कोर्ट ने मालवीय को निर्देश दिया कि वह तब तक अपने कार्टून के लिए माफी मांगे। इस मामले ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है, जहां कुछ लोग इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, जबकि अन्य मालवीय के कार्टून को आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला मान रहे हैं।