भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते यानी एफ़टीए पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और दोस्ती और मजबूत होगी। इस समझौते के तहत भारत ब्रिटिश सामानों पर औसत टैरिफ को 15% से घटाकर 3% करेगा, जबकि यूके भारतीय निर्यात पर 99% टैरिफ लाइनों पर शुल्क ख़त्म करेगा। इस समझौते को भारत का अब तक का सबसे व्यापक व्यापार समझौता माना जा रहा है। यह दोनों देशों के लिए व्यापार, निवेश और रोजगार सृजन में नई संभावनाएं खोलेगा। लेकिन सवाल यह है कि इस समझौते से भारत और यूके में से कौन अधिक फायदा उठाएगा?  

भारत ने यूके से आने वाले 90% सामानों पर टैक्स कम करने या हटाने का फ़ैसला किया है। अगले 10 साल में 85% ब्रिटिश सामान भारत में बिना टैक्स के आएंगे। मिसाल के तौर पर ब्रिटिश व्हिस्की और जिन जैसे पेय पदार्थों पर टैरिफ 150% से घटकर 75% होगा और दसवें वर्ष तक यह 40% तक कम हो जाएगा। ऑटोमोबाइल सेक्टर में टैरिफ 100% से अधिक से घटकर 10% तक होगा, जो कोटा सिस्टम के तहत लागू होगा।
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यूके ने भारत से आने वाले 99% सामानों पर टैक्स खत्म कर दिया है। इससे भारत के कपड़े, जूते, गहने, मछली, और मशीनरी जैसे सामानों को बड़ा फायदा होगा।

भारत-यूके के बीच व्यापार बढ़ेगा

2024 में भारत और यूके के बीच 60 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। इस समझौते से 2030 तक यह दोगुना होकर 120 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। यूके का कहना है कि उसका निर्यात 15.7 अरब पाउंड बढ़ेगा, और भारत का निर्यात भी 45 अरब पाउंड तक जा सकता है। भारत के कपड़ा, गहने, और मछली जैसे सामान यूके में ज़्यादा बिकेंगे, जिससे भारत को फायदा होगा।

सेवा क्षेत्र और नौकरियाँ

यूके ने भारत की आईटी, बैंकिंग और शिक्षा जैसी सेवाओं को अपने देश में ज्यादा मौके देने का वादा किया है। भारतीय शेफ, योग टीचर, और म्यूजिशियन को यूके में काम करने के लिए आसानी से वीजा मिलेगा। 

भारतीय कंपनियों को यूके में सामाजिक सुरक्षा टैक्स से 3 साल की छूट मिलेगी, जिससे 4000 करोड़ रुपये की बचत होगी। यूके की कंपनियों को भारत के सड़क, रेल, और हेल्थ जैसे सेक्टरों में सरकारी प्रोजेक्टों में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।

कुछ सामान समझौते से बाहर

भारत ने अपने दूध, सेब, और चीज जैसे उत्पादों को इस समझौते से बाहर रखा है, ताकि अपने किसानों को नुकसान न हो। यूके ने भी कुछ क्षेत्र, जैसे वकीलों की सेवाएं, इस समझौते से बाहर रखे हैं।

भारत के लिए फायदे

ज्यादा निर्यात: भारत के कपड़े, जूते, गहने, और मछली जैसे सामान यूके में सस्ते होकर ज्यादा बिकेंगे। इससे भारत का निर्यात दोगुना हो सकता है।

सेवा क्षेत्र में मौके: भारत की आईटी और बैंकिंग कंपनियां यूके में ज्यादा काम करेंगी, जिससे हर साल 15-20% की बढ़ोतरी हो सकती है।

नौकरियां: इस समझौते से भारत में लाखों नई नौकरियां बनेंगी, खासकर छोटे उद्योगों और कारीगरों के लिए।

पैसे की बचत: भारतीय कर्मचारियों को यूके में टैक्स छूट से कंपनियों का खर्च कम होगा।
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भारत के लिए चुनौतियां

  • कारों का बाजार: ब्रिटिश कारें सस्ती होने से भारत की कार कंपनियों को नुकसान हो सकता है।
  • सरकारी खरीद: यूके की कंपनियां भारत के सरकारी प्रोजेक्टों में हिस्सा लेंगी, जिससे भारतीय कंपनियों को ज्यादा प्रतिस्पर्धा करनी पड़ेगी।
  • सीमित फायदा: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को उतना फायदा नहीं होगा, क्योंकि भारत के कई सामान पहले से ही यूके में कम टैक्स पर बिकते हैं।

यूके के लिए फायदे

भारत का बड़ा बाजार: भारत में मध्यम वर्ग बढ़ रहा है, जो व्हिस्की और कारों जैसे ब्रिटिश सामानों को खरीदेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की बाजार है और टैक्स कम होने से यूके की व्हिस्की कंपनियों को 1 अरब पाउंड का फायदा हो सकता है।

आर्थिक वृद्धि: यूके का अनुमान है कि यह समझौता उसकी अर्थव्यवस्था में 4.8 अरब पाउंड जोड़ेगा।
नए प्रोजेक्ट: यूके की कंपनियां भारत के सरकारी प्रोजेक्टों में हिस्सा लेंगी, जिससे उन्हें 38 अरब पाउंड के टेंडर मिल सकते हैं।

यूके के लिए चुनौतियां

  • भारतीय सामानों से प्रतिस्पर्धा: भारत के सस्ते कपड़े और खाद्य सामान यूके के स्थानीय बाजारों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • कार्बन टैक्स: यूके का कार्बन टैक्स भारत के कुछ निर्यात को प्रभावित कर सकता है, जिस पर अभी बातचीत चल रही है।
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कौन है ज़्यादा फायदे में?

यह समझौता भारत और यूके दोनों के लिए फायदेमंद है। भारत को अपने कपड़े, गहने, और आईटी जैसे क्षेत्रों में बड़ा फायदा होगा, जिससे नौकरियां बढ़ेंगी और निर्यात दोगुना होगा। लेकिन भारत को अपनी कार कंपनियों और स्थानीय उद्योगों को बचाने के लिए सावधानी बरतनी होगी। दूसरी ओर, यूके को भारत के विशाल बाजार में पहुंच मिलेगी, जो उसकी व्हिस्की और कार कंपनियों के लिए बड़ा मौका है। हालांकि, भारतीय सामानों की सस्ती कीमतें यूके के स्थानीय उद्योगों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती हैं।

समझौता कैसे लागू होगा?

यह समझौता लागू होने से पहले भारत में मंत्रिमंडल और यूके में संसद की मंजूरी लेनी होगी। इसे शुरू होने में एक साल लग सकता है। दोनों देश 2030 तक 120 अरब डॉलर के व्यापार का लक्ष्य रख रहे हैं। यह समझौता भारत के लिए अपने सामान और सेवाओं को दुनिया में बढ़ाने का बड़ा मौका है। यूके के लिए यह भारत के बढ़ते बाजार में पैर जमाने का रास्ता है। दोनों देशों को फायदा होगा, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि वे इसका कितनी अच्छी तरह इस्तेमाल करते हैं।