भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बड़ा फ़ैसला लेते हुए अपनी प्रमुख रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट्स यानी 0.50% कम करके 5.5% कर दिया। यह 2025 में तीसरी बार है जब आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है और यह पिछले दो सालों में सबसे बड़ी कटौती है। रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। इसका मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा और और इस वजह से बैंक भी अपने ग्राहकों को कर्ज कम ब्याज पर दे सकते हैं।

इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआर को भी 100 बेसिस पॉइंट्स कम करने का ऐलान किया है। इससे सीआरआर 4 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत हो जाएगा। यह सितंबर से चरणबद्ध तरीक़े से लागू होगा। इस क़दम का मक़सद अर्थव्यवस्था में पैसे की उपलब्धता को बढ़ाना और आर्थिक विकास को गति देना है। तो सवाल है कि इसका आम लोगों, कर्ज लेने वालों, निवेशकों और बैंकों पर क्या असर होगा? आइए इसे समझते हैं।
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रेपो रेट क्यों मायने रखता है?

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। जब यह दर कम होती है तो बैंकों के लिए आरबीआई से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। इसका नतीजा यह होता है कि बैंक भी अपने ग्राहकों को सस्ते कर्ज दे सकते हैं। इस बार आरबीआई ने रेपो रेट को 6% से घटाकर 5.5% कर दिया है, जो अगस्त 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है। आपके लिए इसका क्या मतलब है?

सस्ते हो सकते हैं होम लोन, अन्य कर्ज

रेपो रेट में कटौती का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जो होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन लेने की सोच रहे हैं। बैंकों को अब सस्ता कर्ज मिलेगा, जिसके कारण वे अपने ग्राहकों को कम ब्याज दरों पर लोन दे सकते हैं। 

इसका मतलब है कि आपकी मासिक किस्त यानी ईएमआई कम हो सकती है। मिसाल के तौर पर यदि आपने 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है तो इस कटौती से आपकी ईएमआई में कुछ हजार रुपये की बचत हो सकती है।

फिक्स्ड डिपॉजिट पर कम ब्याज

अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं तो यह ख़बर आपके लिए थोड़ी निराशाजनक हो सकती है। रेपो रेट कम होने से बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिसके कारण वे ए़फ़डी पर ब्याज दरें भी कम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आपकी एफ़डी से मिलने वाला रिटर्न पहले की तुलना में कम हो सकता है। यदि आपने रेपो रेट कट से पहले अपना फिक्स्ड डिपॉजिट बुक किया है, तो आपकी ब्याज दर अपरिवर्तित रहेगी, भले ही बैंक रेट कट के बाद दर कम करने का फ़ैसला करें। 

शेयर बाजार में तेजी की उम्मीद

आरबीआई के इस फ़ैसले से शेयर बाज़ार में उत्साह देखने को मिल सकता है। जैसा कि शुक्रवार को बाज़ार में दिखा भी। कम ब्याज दरों से कंपनियों के लिए कर्ज लेना आसान हो जाता है, जिससे वे अपने कारोबार को बढ़ा सकती हैं। इससे रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है। कई निवेशकों का मानना है कि यह कटौती उपभोक्ता खर्च को बढ़ाएगी, जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
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अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ेगी

आरबीआई ने कैश रिजर्व रेशियो यानी सीआरआस को भी 100 बेसिस पॉइंट्स कम करने का फ़ैसला किया है। यह वह राशि है, जो बैंकों को आरबीआई के पास जमा रखनी होती है। इसे कम करने से बैंकों के पास उधार देने के लिए ज़्यादा पैसा होगा। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को कर्ज लेना आसान होगा, जिससे कारोबार और रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।

महंगाई का क्या होगा?

आरबीआई ने यह कदम तब उठाया है, जब भारत में महंगाई 4% के लक्ष्य से नीचे आ गई है। लेकिन इस ताज़ा फ़ैसले के बाद महंगाई के बढ़ने का ख़तरा रहेगा। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कम महंगाई ने नीतिगत कटौती के लिए जगह बनाई है, लेकिन भविष्य में महंगाई पर कड़ी नज़र रखी जाएगी। 

अगर महंगाई बढ़ती है तो आरबीआई फिर से दरों को स्थिर रख सकता है।

क्यों लिया गया यह फ़ैसला?

आरबीआई का कहना है कि यह कटौती आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई है। हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था में कुछ सुस्ती देखी गई थी और उपभोक्ता ख़र्च में कमी आई थी। इस कटौती से लोगों के पास ज़्यादा पैसा आएगा, जिससे ख़र्च बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर भी कई केंद्रीय बैंक ब्याज दरें कम कर रहे हैं, जिससे भारत को भी यह क़दम उठाने में मदद मिली।

क्या करें उपभोक्ता और निवेशक?

  • अगर आप नया लोन लेने की सोच रहे हैं तो यह सही समय हो सकता है, क्योंकि ब्याज दरें कम हो सकती हैं। 
  • अगर आप एफ़डी में पैसा लगाने की योजना बना रहे हैं, तो जल्दी करें और ब्याज दरें कम होने से पहले यह कर लें।
  • शेयर बाजार में निवेश करने वालों को रियल एस्टेट, बैंकिंग, और ऑटो सेक्टर पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि इनमें तेजी की संभावना है।
  • ज्यादा तरलता के कारण बैंकों से कर्ज लेना आसान होगा, जिससे कारोबार बढ़ाने का मौका मिल सकता है।
आरबीआई की इस 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती को अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। यह कदम न केवल कर्ज को सस्ता करेगा, बल्कि उपभोक्ता खर्च और निवेश को भी बढ़ावा देगा। हालांकि, एफ़डी निवेशकों को सावधानी बरतनी होगी। जानकारों का मानना है कि आरबीआई इस साल के अंत तक ब्याज दरों को 5.5% पर स्थिर रख सकता है, लेकिन यह सब महंगाई और वैश्विक आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेगा।