जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के विरोध में पूरा कश्मीर सड़कों पर उतर आया। जानिए हमले के विरोध में स्थानीय लोग क्यों ग़ुस्से में हैं और मस्जिदों से हिंसा की निंदा क्यों की गई।
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के विरोध में पूरा कश्मीर एकजुट हो गया है। कश्मीर घाटी में हमले के विरोध में लोगों ने बुधवार को खुद से ही बाज़ार बंद रखे। कश्मीर की मस्जिदों से हमले की कड़ी निंदा की गई। स्थानीय लोगों ने कहा, 'यह कायराना कृत्य हमारी मेहमाननवाजी पर धब्बा है, हमारा सिर शर्म से झुक गया है।' जम्मू में उग्र प्रदर्शन हुए, जबकि मंगलवार शाम को कैंडल मार्च निकालकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस हमले में 26 की मौत ने पूरे राज्य में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। इसी का नतीजा यह रहा कि पहलगाम हमले के ख़िलाफ़ कश्मीर घाटी में जनजीवन पूरी तरह ठप रहा। श्रीनगर, बारामूला, अनंतनाग, कुपवाड़ा, सोपोर और अन्य शहरों में दुकानें, स्कूल, कॉलेज और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और सार्वजनिक परिवहन सेवाएँ बंद रहीं। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और विभिन्न व्यापारिक व सामाजिक संगठनों ने बंद को समर्थन दिया।
कश्मीर की मस्जिदों विशेष रूप से जामिया मस्जिद भलेसा और श्रीनगर की प्रमुख मस्जिदों ने माइक पर हमले की निंदा की। मौलवियों ने इसे 'इस्लाम और इंसानियत के खिलाफ कायराना कृत्य' बताया। श्रीनगर के एक मौलवी ने कहा, 'कश्मीर मेहमानों की इज्जत करता है। यह हमला हमारी संस्कृति और शांति के ख़िलाफ़ है।' स्थानीय लोगों ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा कि यह कश्मीर की छवि को धूमिल करने की साजिश है। श्रीनगर के निवासी गुलाम हसन ने कहा, 'हमारे मेहमानों पर हमला हुआ, हमारा सिर शर्म से झुक गया है। आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता।' जम्मू में हमले के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा। गांधी नगर, रघुनाथ बाजार, और तालाब तिल्लो जैसे इलाकों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और पाकिस्तान के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। प्रदर्शनकारियों ने आतंकियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की। कुछ जगहों पर प्रदर्शन उग्र होने पर पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
जम्मू और कश्मीर के कई हिस्सों में मंगलवार शाम को कैंडल मार्च निकाले गए। पहलगाम, श्रीनगर, और जम्मू के रघुनाथ मंदिर के पास हजारों लोग जुटे और मृत पर्यटकों को श्रद्धांजलि दी।
कैंडल मार्च में शामिल एक छात्रा नाजिया अहमद ने कहा, 'यह हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं, कश्मीर की आत्मा पर हमला है। हम शांति चाहते हैं, खूनखराबा नहीं।' श्रीनगर के एक व्यापारी मोहम्मद यूसुफ ने कहा, 'यह हमला सिर्फ़ पर्यटकों पर नहीं, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और छवि पर हमला है। हम शांति चाहते हैं, आतंकवाद नहीं।'
इसी बीच, उत्तरी कश्मीर के उड़ी सेक्टर में भारतीय सेना ने एक बार फिर अपनी मुस्तैदी दिखाई। मंगलवार देर रात गोहालन इलाके में नियंत्रण रेखा के पास संदिग्ध गतिविधि देखी गई। सेना की 3 मराठा लाइट इन्फैंट्री ने तुरंत क्षेत्र को घेर लिया। घुसपैठ की कोशिश कर रहे आतंकियों ने सेना पर गोलीबारी शुरू कर दी, इसके जवाब में सेना ने दो आतंकियों को मार गिराया। हालाँकि, उनके शव बरामद नहीं हो सके, क्योंकि यह क्षेत्र एलओसी के बेहद क़रीब है और घना जंगल होने के कारण दृश्यता कम थी। सेना ने इलाके में सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है, और ड्रोन व थर्मल इमेजिंग का उपयोग किया जा रहा है।उड़ी सेक्टर में दो आतंकी ढेर
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'हमारी टीमें पूरी तरह सतर्क हैं। एलओसी पर किसी भी घुसपैठ को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।' खुफिया सूत्रों के अनुसार, पहलगाम हमले के बाद आतंकी संगठन और उनकी गतिविधियां बढ़ सकती हैं, जिसके लिए सेना और खुफिया एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और उसकी सहयोगी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली है। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, हमले का मास्टरमाइंड लश्कर का शीर्ष कमांडर सैफुल्लाह है, जो पाकिस्तान में बैठकर इस साजिश को अंजाम दे रहा है। हमले में चार आतंकियों के शामिल होने की जानकारी मिली है, जिनमें से दो की पहचान की जा रही है। आतंकी दुर्गम पहाड़ी इलाकों में छिपे हो सकते हैं, जिसके लिए सेना ने हेलीकॉप्टर, ड्रोन, और उन्नत तकनीक के साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। पुलिस और एनआईए ने हमले की जांच शुरू कर दी है।पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड और जांच
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि हमले में इस्तेमाल हथियार और विस्फोटक पाकिस्तान से तस्करी के ज़रिए लाए गए थे। यह भी संदेह है कि आतंकियों को स्थानीय स्तर पर कुछ लॉजिस्टिक सपोर्ट मिला हो, जिसकी जांच की जा रही है।
पहलगाम हमले ने केंद्र और राज्य सरकार को तत्काल कार्रवाई के लिए मजबूर किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर भारत लौटने का फ़ैसला किया और बुधवार को कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई। गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार शाम श्रीनगर पहुंचे और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, और सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। शाह ने कहा, 'आतंकियों और उनके समर्थकों को किसी भी क़ीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। हम कश्मीर में शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।' मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हमले की निंदा करते हुए कहा, 'यह कश्मीर की आत्मा पर हमला है। हम अपने मेहमानों की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएंगे।' प्रशासन ने पर्यटकों और स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।
कहा जा रहा है कि पहलगाम हमला पिछले 25 साल में सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है। इसने कश्मीर के पर्यटन उद्योग को गहरा झटका दिया है। अप्रैल का महीना पीक टूरिस्ट सीजन होता है और पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे पर्यटन स्थल हजारों पर्यटकों से गुलजार रहते हैं। हमले के बाद कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी और स्थानीय होटल, टूर ऑपरेटर, और गाइड चिंतित हैं। पर्यटन विभाग ने पर्यटकों का हौसला बढ़ाने के लिए विशेष सुरक्षा उपायों की घोषणा की है। जम्मू-कश्मीर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और सुरक्षा बल आतंकियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन तेज करने में जुटे हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर असर